Monday, January 18, 2010

दिल दिया नहीं जाता खो जाता है

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Gayanendaryadav@gmail.com














अब मेरे बारे में जानो..

Name……………………… Gayanendaryadav (Allahabad)

Allahabad
जन्मदिन…………………………….. 09 अगस्त 1991
उम्र …………………………………. 19
मेरी भाषाएं………………………..अंग्रेज़ी, हिंदी,
धर्म………………………………..हिंदू
राजनीतिक………………………..राजनीतिक नहीं
हंसी मज़ाक………………………चटपटा/नटखट, मैत्रीपूर्ण
फ़ैशन…………………………. .....विकल्प, केज़ुअल, क्लासिक
धूम्रपान…………………………….. नहीं
मदिरापान………………………….. नहीं
पालतू प्राणी..............................मुझे उनसे प्यार है
जीवनशैली..............................अकेले, मित्र अकसर आते हैं
गृहनगर………………………. इलाहाबाद,उत्तर प्रदेश
शिक्षा………………………………………………………..स्नातक डिग्री
आंखों का रंग……………………………………………….काला
बालों का रंग…………………………………………………काला
कदकाठी……………………………………………………..एथलेटिक
रंगरूप………………………………………………………साधारण
सर्वोत्तम फीचर……………………………………………………होंठ
पसंद……………………………………………………बुद्धिमत्ता, ताकत, धन-सम्पत्ति
नापसंद……………………………………………………अश्लील साहित्य
संबंध स्थिति………………………………………………..अविवाहित
मेरी नज़र में आदर्श पहली डेट...........................इतनी किसी की ज़िंदगी ग़म से भरी न हो.
संगीत……………………..मुझे लगता है की संगीत के बिना तो जीवन सूना है,रफी साहब का मुरीद हूँ
टीवी शो...................घर से बहार रह कर टीवी देखना लाघभाग ख़तम सा हो गया Gayanendaryadav@gmail.com


व्यवसाय…………………………………विद्यार्थी
मनोभाव………………………….शेर ओ शायरी का ज़बरदस्त शौक चढा है आजकल जिम सुबह शाम करके सेहत बनाने का भी फ़ैशन ज़बरदस्त है क्रिकेट खेलने का बहुत मन करता है मौका मिलते ही खेल के मैदान में निकल जाता हूँ
खेल……….भारत में क्रिकेट का नाम लेना बेमानी ही होगा क्योंकि ये अब खेल नहीं सभी की ज़रूरत बन चुका है,लॉन टेनिस काफी अच्छा लगता है, सानिया मिर्जा का ज़बर्दत प्रशंशक हूँ.
किताबें............................अब तक कई सारी किताबें पद डाली हैं मगर जिन्हीने सबसे ज्यादा प्रभावित किया वो हैं मुंशी प्रेमचंद की गोदान, कर्मभूमि, कफ़न, पूस की रात, धर्मवीर भारती जी की गुनाहों का देवता
फ़िल्म………………….. हम तुम्हारे हैं सनम साजन हम दिल दे चुके सनम हमारा दिल आपके पास है दिलवाले दुल्हनियां ले जाएंगे फिल्में तो और भी कई है..लिखते गये तो जगह कम पड़ सकती है।
खान-पान………………………….खाने का बहुत ज्यादा शौक नहीं है,स्वाद से ज्यादा ज़रूरी है कोई प्यार से खिलाये लेकिन केवल शुद्ध शाकाहारी भोजन का ही शौक़ मैं रखता हूँ...
आदर्श जोड़ी………………भाई ये बहुत गंभीर विषय है, इस पर कुछ लिखने से पहले सौ बार सोंचना पड़ेगा
मेरे बारे में नज़र में आने वाली पहली बात…………………मुझे लगता है ज़बान से पहले आँखें ही सब कह देती हैं...हजारों मंजिलें होंगी, हजारों कारवां होंगे, निगाहें हमको ढूंढेगी, न जाने हम कहां होंगे...
गतिविधियां…………….मुझे चेहरे पढ़ने की बहुत आदत है. मैं लोगों की हरकतें देखता हूँ. लोग अख़बारों के आदी हो गए हैं वरना चेहरों पर क्या नहीं लिखा होता. मैं हैरान होता हूँ कि देखो लोग समय के साथ कैसे बदल जाते हैं.मुझे समाज सेवा करने की बड़ी रूचि रही है...जब भी वक़्त मिलता है मैं थोड़ी बहुत हर संभव समाज को अपनी सेवायें देने की कोशिश अवश्य करता हूँ...मुझे गली के वैसे बच्चों से बहुत प्यार है जिन्हे हम अपनी कथित सभ्य भाषा में लावारिस कहकर बुलाते हैं..अगर जीवन में किसी मुकाम पे पहुँच पाय तो ऐसे बच्चों के लिए कुछ करने की लालसा पाल रखी है मैंने...वक़्त बितान्ने के लिए मुझे कवितायेँ लिखना बहुत पसंद है....वैसे मुझे ज्यादा मित्र बनने में कोई दिलचस्पी नहीं है मगर बन्ने पर हरसंभव निभाना मुझे बहुत पसंद है...
नौकरी विवरण..........इस शहर की भीड़ में एक पहचान बनाने निकला हू,कही टुटा है एक तारा आसमान से मैं उसे चाँद बनाने निकला हू....तो क्या हुआ जो जिंदगी हर कदम पर मारती है ठोकर,हर बार फिर संभलकर मैं उसे फिर एक अरमान बनाने निकला हू डूबता हुआ सूरज कहता है हर शाम मुझेसे की वो कल फिर आएगा,मैं उसे कल के लिए एक आसमान बनाने निकला हू.....एक तारा टुटा है असमान मे मैं उसे चाँद बनाने निकला हू
अपने पुराने रिश्तों से मैंने सीखा है........................हर हाल खुश रहना की कला को मैने बहुत अभ्यास से सीखा है अब ये मेरी आदत सी बन गयी ...
मैं ?
पांच 5फीट 5 इंच लम्बाई दिखने में सामान्य पर कुछ दोस्त कहते हैं ठीक दिखता हूँ, आप खुद मेरे एल्बम में जाकर मेरे फोटो देख कर फैसला कर सकते हैं.सभी का सम्मान करने वाला पर महिलाओं का सम्मान कुछ ज्यादा ही करता हूँ(गलत मत समझना) सभी की मदद करने को हर वक्त तैयार रहता हूँ.किसी काम के लिए मना नहीं कर पाता,इसिस्लिये कई बार खुद परेशानी में फंस चुका हूँ. Gayanendaryadav@gmail.com

अत्यंत भावुक हूँ इसीलिए दोस्त ज्यादा हैं दुश्मन तो हैं ही नहीं,ज्यादा दिन किसी से नाराज़ नहीं रह पाता, कोई भी मुस्कुरा कर बोल दे तो सारी पुरानी बातें भूल जाता हूं..माता पिता से सबसे ज्यादा डरता हूं शायद भगवन से भी ज्यादा,उनका कहा टालना मेरे लिए लगभग असंभव है
अश्लील, मुझे समाज सेवा करने की बड़ी रूचि रही है आदि शब्दों से नफरत है मुझे लगता है जो अपने बारे में ऐसा कहते हैं वो खुद ऐसा नहीं करते,पर मेरा स्वाभाव थोडा सा मजाकिया है, टेंशन कम लेता हूँ पर एक बार टेंशन हुई तो कई दिन तक परेशान रहता हूँ आपसे प्रार्थना है की कोई टेंशन वाला स्क्रैप मत लिखना
मैं कम बोलता हूं, पर कुछ लोग कहते हैं कि जब मैं बोलता हूं तो बहुत बोलता हूं.
मुझे लगता है कि मैं ज्यादा सोचता हूं मगर उनसे पूछ कर देखिये जिन्हे मैंने बिन सोचे समझे जाने क्या क्या कहा है! मैं जैसा खुद को देखता हूं, शायद मैं वैसा नहीं हूं.......



sanctuary: n.

sacred place. eg a church. temple or mosque.


कभी कभी थोड़ा सा चालाक और कभी बहुत भोला भी
कभी थोड़ा क्रूर और कभी थोड़ा भावुक भी.... मैं एक बहुत आम इन्सान हूं जिसके कुछ सपने हैं...कुछ टूटे हैं और बहुत से पूरे भी हुए हैं...पर ..थोड़ा सा विद्रोही...परम्परायें तोड़ना चाहता हूं ... और कभी कभी थोड़ा डरता भी हूं... मुझे खुद से बातें करना पसंद है और दीवारों से भी...बहुत से और लोगों की तरह मुझे भी लगता है कि मैं अकेला हूं...मैं बहुत मजबूत हूं और बहुत कमजोर भी..."अपनी इच्छा को पाने एक लिए उसके बारे मैं सोचना अच्छी बात है मगर लाइफ़ मे सब कुछ नही मिलता इस बात के लिए हमेशा तैयार रहे। लाइफ़ के हर पल को सरलता से लीजिए एंजोय कीजिए ज़ीनदगी मे बुरा समय कब आ जाए पता नही. ऐसी कोई भी मुश्किल नही हे जिसका समाधान ना हो बस आपकी एक मीठी सी मुस्कान दूसरो को और ख़ुद आपको सुकून देगी दुख सबकी ज़िंदगी आते रहते है अब उन्हे सुख से हंस कर अनदेखा कर दिए जाए तो लाइफ़ सुँदर बनाई जा सकती हे इसलिए हंसना ही ज़िंदगी है","क्यूं कहते हो मेरे साथ कुछ भी बेहतर नही होता सच ये है के जैसा चाहो वैसा नही होता कोई सह लेता है कोई कह लेता है क्यूँकी ग़म कभी ज़िंदगी से बढ़ कर नही होता आज अपनो ने ही सीखा दिया हमे यहाँ ठोकर देने वाला हैर पत्थर नही होता क्यूं ज़िंदगी की मुश्क़िलो से हारे बैठे हो इसके बिना कोई मंज़िल, कोई सफ़र नही होता कोई तेरे साथ नही है तो भी ग़म ना कर ख़ुद से बढ़ कर कोई दुनिया में हमसफ़र नही होता.., कभी ये ज़िंदगी ही अजनबी लगती है, ख़ुद से ख़फा हैं या ज़िंदगी से, मगर हर जगह कुछ कमी सी लगती है. ढेर सारे सपने देखती है आँखे, इनही सपनो मे मेरी ज़िंदगी बसती है, सभी को ख़ुशी दे दू, अपनी ज़िंदगी दे दू
दुश्मन में भी दोस्त मिला करते है कांटो में भी फूल खिला करते है, हमको काँटा समझ कर छोड़ ना देना कांटे भी फूल की हिफ़ाजत किया करते है! आपकी दोस्ती हम इस कदर निभाएंगे आप रोज खफ़ा होगे हम रोज मनायेगे,
छू लेंगे हम तुझे तेरे ख्वाबो में पर रूबरू तुझसे कभी ना हो पाएँगे तेरी ही चाहत है इस दिल में सनम अब यह बात तुझे कैसे समझा पाएँगे

प्यार : ?

प्यार को कभी भी किया नहीं जा सकता। प्यार तो अपने आप हो जाता है। दिन और रात... धरती और आसमान, एक दूसरे के बिना सब अधूरे हैं। सन -सन करती हवाएं, सुन्दर नजारे, फूलों की खुशबू ... सभी में छिपा होता है प्यार... कुछ तो प्यार में हारकर भी जीत जाते हैं, तो कुछ जीतकर भी अपना प्यार हार जाते हैं। प्यार एक ऐसा नशा है जिसमें जो डूबता है वो ही पार होता है। प्यार पर किसी का वश नहीं होता.... अगर आप भी प्यार महसूस करना चाहते हैं तो डूबिये किसी के प्यार में ... दुनिया की सबसे बड़ी नेमत है ढाई आखर का प्यार... जब आप भी किसी को चाहने लगते हैं तो उसके दूर होने पर भी आपको नजदीक होने का अहसास होने लगता है , हर चेहरे में आप उसका चेहरा ढूंढने की असफल कोशिश करते हैं, कोई पल ऐसा न गुजरता होगा जब उसका नाम आपके होठों पर न रहता हो ... यही तो होता है प्यार... सुन्दर, सुखद , निश्छल और पवित्र अहसास। पूरी दुनिया के सुख इस प्रेम में समाए हुए हैं। यह शब्द छोटा होते हुए भी सभी शब्दों में बड़ा महसूस होता है। केवल इतना सा अहसास मात्र ही आपको तरंगित कर देगा कि मैं उससे प्यार करता
प्यार का इजहार करने के लिये क्या कोई दिन निश्चित होता हैं यह तो कभी भी किया जा सकता हैं हाँ एक बहाना जरूर मिल जाता हैं रिश्तों को फिर से नवीन करने के लिए. प्यार शब्द में सारी दुनिया समाई हुई हैं.एक मीठा एहसास जो जीवन में ताजगी भर देता हैं. प्यार आदमी को बहुत कुछ सिखाता हैं. कभी कभी खामोशी भी शब्दों से अधिक असरदार होतीं हैं. रिश्तों में यदि प्रेम न हो तो वे अधूरे रह जाते हैं और कुछ प्रेम ऐसा भी होता हैं जिसका कोई रिश्ता नहीं होता.
बहुत कुछ हैं लिखने के लिए लेकिन फिर भी हम प्रेम का सही मायनों में अर्थ नहीं जानते. दुख होता हैं जब समाचार पत्रों में खबर पढ़ती हूँ कि प्रेमी ने प्रेमिका की जान ली.प्रेमिका ने आत्मा हत्या की और ऐसी ही कई खबरें जहाँ प्रेम के नाम पर कुछ और किया जाता हैं. प्यार तो व्यक्ति को सच्चाई और ईमानदारी के रास्ते पर ले जाता हैं लेकिन कुछ लोग प्यार के मायने ही बदल देते हैं. Gayanendaryadav@gmail.com


प्यार में पाने में आनंद नहीं बल्कि खोने में हैं. किसी की आँख का आँसू आपकी आँखों में हो और किसी का दुख आपकी नींद उड़ा दे, किसी की हँसी आपके लिये सबसे कीमती हो और आप सारी दुनिया को भुला दे. यही तो प्यार के रंग हैं. आज लोगों में ईर्ष्या ,द्वेष नफरत इतने घर कर गए हैं कि प्यार को जगह ही नहीं मिल पाती. प्यार मात्र शारीरिक आकर्षण और तोहफे लेन देन का नाम नहीं.बल्कि आपकी भावना हैं जो आपके दिल में हैं. कुल मिलाकर जितना कहूँ कम ही होंगा. सिर्फ यहीं कहना चाहती हूँ कि एक दिन महँगे तोहफे देने, और आई लव यूँ कहने को प्यार नहीं कहते. बल्कि प्यार खुद ही अनमोल तोहफा हैं जिसे किसी और तोहफे की जरूरत नहीं. न शब्दों की जरूरत हैं. सिर्फ एहसास हैं ये रूह से महसूस करों प्यार को प्यार ही रहने दो कोई......
सब कुछ नया नया सो था.... अलग अलग सो.....कभी न हुआ वो एहसास था........खुली आँखों से देखा हुआ ख्वाब था.......मन हर वक़्त सुंदर सपने बुनता था,ख्वाबों कि दुनिया कितनी हसीन होती है, ये तब ही जाना.....प्यार क्या होता है ये भी तब जाना!ये वो आइना है जिसमे आप खुद दो और सिर्फ खुद को ही देखना चाहते है, पर एक हलकी सी ठोकर उस आईने को तोड़ भी देती है.....अब ये मान चुका हूँ कि किस्मत को मात देना आसन नहीं......क्यूंकि सचमुच "प्यार" का पहला अक्षर अधूरा होता है......अधूरा है तब तक ही सही है.......पूरा होते ही (पयार) ये गलत हो जाता है
sardonic: adj.

expressing scorn. usu in a grimly humorous way; mocking.











दोस्ती और प्यार में फर्क समझें


राहुल और पूजा दोनों इंजीनियरिंग में साथ में पढ़ने वाले दो छात्र हैं। कॉलेज भी साथ जाते हैं, कोचिंग भी। और कोई प्रॉब्लम्स आए तो थ्योरी भी साथ बैठकर ही सुलझाते हैं। किसी भी परेशानी में पूजा को अपनी किसी सहेली से भी पहले याद आती है तो राहुल की और राहुल अपने दोस्तों से ज्यादा भरोसा करता है पूजा पर। Ramsajiwansingh@mail.com

दोनों एक-दूसरे के परिजनों से भी अच्छी तरह परिचित हैं। साथ-साथ घूमना, पढ़ना, फिल्म देखना और सैर सपाटे करने से उनकी दोस्ती धीरे-धीरे लगभग पिछले 7 वर्षों में प्रगाढ़ हुई है। पीठ पीछे राहुल के दोस्त और पूजा की सहेलियाँ मिल जातीं तो दोनों के बारे में तरह-तरह के कयास लगाते रहते। और इन्हें परेशान भी करते रहते। पूजा ने तो इन बातों को इतनी गंभीरता से नहीं लिया लेकिन राहुल के मन में कहीं न कहीं प्यार की लहरें हिलोरे मारने लगीं। वर्तमान की बॉलीवुड फिल्मों ने इस आग में घी का काम किया।
एक बार जब राहुल कुछ दिनों के लिए शहर से बाहर गया हुआ था। इस दौरान पूजा को देखने लड़के वाले आए और पसंद करके चले गए। पूजा ने झट राहुल का नंबर लगाया और बताया कि उसकी शादी की बात तय हो गई है लेकिन ये क्या राहुल के तो मानो पैरों तले धरती खिसक गई।
मोबाइल बड़ी मुश्किल से संभाला और जुबान पर नियंत्रण करते हुए जैसे-तैसे बधाई दी। बाद में तो राहुल की जुबाँ पर मुकेश और रफी के दर्दभरे नगमें ही अधिकांश रहते। जैसे जुबाँ पे दर्द भरी दास्तां चली आई और क्या से क्या हो गया बेवफा तेरे प्यार में।
दोस्तों के बीच बैठकर अब बयाँ करते। यार ये मुझे प्यार का क्या सिला मिला। वर्षों जिसके लिए सपने संजोए वो तो बेवफा निकल गई। गम गलत करने के लिए राहुल ने सिगरेट पीना, देवदास की तरह रहना शुरू कर दिया। उनके घर वालों ने भी बैठकर समझाया भई वह तो तुम्हारी दोस्त थी और तुमको दोस्त ही समझती थी। तुम उसको प्यार समझ बैठे। यह तुम्हारी भूल थी। अब आप ही फैसला करें दोस्तों गलत कौन। राहुल ही न। दोस्ती अपनी जगह है, प्यार अपनी जगह और यदि आप इस बारे में पहले ही इजहार कर देख लेते तो शायद आपकी गलतफहमी दूर हो जाती और रिश्तों की सीमा स्पष्ट हो जाती। आज हम 21वीं सदी में जी रहे हैं। जहाँ भाई-बहन, और प्रेमी-प्रेमिका के अलावा भी कोई तीसरा रिश्ता लड़के-लड़की के बीच होता है और वह है दोस्ती का। इसलिए समझदारी इसी में है दोस्ती को प्यार समझने की भूल न करें।


प्रेम और आकर्षण के बीच अंतर...
जीवन में हम बहुत से लोगों से मिलते हैं। कुछ आपको हँसाते हैं, कुछ के साथ आप बहुत मजा करते हैं और कुछ का डील-डौल देखकर ही अच्छा लगता है, लेकिन किसी में वो बात नहीं रहती जो आप अपने सपनों के राजकुमार के बारे में सोचती रही हैं। न जाने आप कितने लोगों से मिल चुकी हैं, लेकिन फिर भी आपकी तलाश अधूरी है। जब ऐसी स्थिति आ जाती है तब लगता है कि काश अपने मनपसंद साथी को बनाना आपके हाथ में होता और आप हर व्यक्ति में से अच्छे-अच्छे गुण चुनकर एक परफेक्ट साथी चुन लेतीं, लेकिन यह हमेशा याद रखिए कि दुनिया का कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं होता और आप किसी से पूरी तरह बदलने की आशा भी नहीं कर सकती हैं। ऐसी दुविधापूर्ण स्थिति में आपको प्रेम और आकर्षण के बीच अंतर समझना सबसे ज्यादा जरूरी हो जाता है, क्योंकि महज आकर्षण के धरातल पर किसी भी रिश्ते की नींव मजबूत हो ही नहीं सकती है। अब आपके सामने सबसे बड़ी समस्या अपने आदर्श साथी को लेकर है, यह भी सुलझ जाएगी यदि आप तय कर लेंगी कि आखिर वास्तविक जिंदगी में आप क्या चाहती हैं?
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अपने आदर्श साथी को कैसे ढूँढें?
सबसे पहले खुद ही मन ही मन दोहरा लें कि वह कौन से गुण हैं जो आपके साथी में होना ही चाहिए। चाहें तो यह सब बातें कागज पर लिख लें। साथ में यह भी जरूर लिखें कि आप अपने रिश्ते में यह चीजें क्यों चाहती हैं। बेशक इस कागज को किसी को मत बताइए, लेकिन इसे हमेशा अपने पास रखें और जब मौका मिले उसे पढ़ें। यह ठीक है कि आप अपने साथी के बारे में क्या सोचती हैं उस पर विचार करें, लेकिन यह भी जरूरी है कि आप अपने बारे में और अपने नैतिक मूल्यों के बारे में भी उतना ही सोचें।
अपने साथी में उन गुणों को महत्व दीजिए जो यह समझता हो कि आपके लिए क्या जरूरी है? कभी भी केवल आज की परिस्थितियों के बारे में न सोचें, बल्कि हमेशा आने वाले सालों के बारे में भी अवश्य सोचें। सिद्धांत, नैतिकता, व्यवहार कुछ ऐसे गुण हैं जो हर व्यक्ति में होना ही चाहिए और ये किसी भी व्यक्ति को ऊँचा दर्जा दिलवा सकते हैं। उन जगहों पर जाइए जहाँ आपको अपनी पसंद के विषयों पर बात करने वाले व्यक्ति मिलें। घर पर रहकर आप ऐसी बातों की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। इसके साथ ही जरूरी है नेटवर्किंग। आप जितने ज्यादा दोस्त बनाएँगे उतने ही और नए लोगों के संपर्क में आएँगे।
1. याद रखिए जब आप चाहती हैं कि सामने वाला व्यक्ति आपके पसंदीदा विषयों पर बात करे तो आपका भावी साथी भी कुछ इस तरह की बातें सोच सकता है, इसलिए, स्पोर्ट्स, कल्चरल इवेंट या थोड़ी सी पॉलिटिक्स पर बोलने की आदत बनाइए।
2. आत्मविश्वास और आत्मसम्मान किसी को भी आकर्षित करने के लिए काफी हैं। जितना अच्छा आप अपने बारे में महसूस करेंगी, दूसरों को आप उतनी ही अच्छी दिखाई पड़ेंगी।
3. हमेशा वेल ड्रेस्ड रहिए। इसका मतलब यह नहीं है कि आप महँगा कपड़ा ही पहनें। जो भी पहनें वह आपके लिए आरामदायक और आप पर जँचना चाहिए।
4. हमेशा अपने रिश्ते के प्रति ईमानदार रहें। पहली बार ही उसके बारे में सब कुछ जान लेने की कोशिश मत कीजिए। जब आपको सब ठीक लगने लगे तो एक बार फिर खुद को टटोलिए कि आखिर ये क्या है?
अ. वास्तविक प्रेम।
ब. महज एक आकर्षण।
स. सिर्फ दोस्ती।
द. इन सब से परे पूरा जीवन गुजारने की तमन्ना।

प्यार के लिए साला कुछ भी करेगा
प्यार के लिए साला कुछ भी करेगा, यह बात तो आम ही है. आशिक को अपनी महबूबा के पांव में लगे कांटे की चुम्बन भी सूली से ज्यादा लगती है. कुछ ऐसे ही प्यार की मिसाल है गांव गहलौर का स्वर्गीय दशरथ मांझी. यह व्यक्ति अपनी पत्नी को आई चोट से इतना प्रभावित हो गया कि उसने गुस्से में आकर पहाड़ का सीना ही चीर डाला. चलो आओ तुम को एक कहानी सुनाता हूं, मुझे नहीं पता कितने लोग इसको बुरा कहेंगे और कितने अच्छा. पर मेरा मकसद एक गुमनाम आशिक को लोगों तक पहुंचाना है.
बिहार के गया जिले के एक अति पिछड़े गांव गहलौर में रहने वाले दशरथ मांझी अपनी पत्नी फगुनी देवी को अत्यंत प्यार करता था. फगुनी भी और महिलाओं की तरह पानी लेने के लिए रोज गहलौर पहाड़ पार जाती थी. मगर एक सुबह फगुनी पानी के लिए घर से निकलीं. जब वो घर वापिस आई तो उसके सिर पर हर रोज की तरह पानी का भरा हुआ घड़ा नहीं था. ये देखकर मांझी ने पूछा कि घड़ा कहाँ है? पूछने पर फगुनी ने बताया कि पहाड़ पार करते समय पैर फिसल गया. चोट तो आई ही, पानी भरा मटका भी गिर कर टूट गया. शायद पहाड़ को भी इसी दिन का इंतजार था कि कोई उसको चीरकर एक रास्ता बनाए. पत्नी का दर्द मांझी से देखा न गया और उसने ठान लिया कि वो अब पहाड़ का सीना चीरकर एक रास्ता बनाएगा.
फिर क्या था दशरथ अकेले ही पहाड़ काटकर रास्ता बनाने में जुट गए. हाथ में छेनी-हथौड़ी लिए वे दो दशकों तक पहाड़ काटता रहा. रात-दिन, आंधी पानी की चिंन्ता किए बिना मांझी नामुमकिन को मुमकिन करने में जुटा रहा. आखिर आशिक की जिद्दी आगे पहाड़ भी चकनाचूर हो गया. मांझी ने अपने गांव से अमेठी तक 27 फुट ऊंचाई में पहाड़ काटकर 365 फीट लंबा एवं 30 फीट चौडा़ रास्ता बना दिया. पहाड़ काटकर रास्ता बनाए जाने से करीब 80 किलोमीटर लंबा रास्ता लगभग 3 किलोमीटर में सिमट गया.
मांझी की हिम्मत एवं जजबे को देखते हुए लोगों ने उन्हें 'माउन्टेन कटर' का नाम दे दिया. पहाड़ का सीना चीरकर मांझी ने रास्ता तो बना दिया, मगर जिसके लिए उसने पहाड़ से माथा लगाया था वो तो काम खत्म होने से पहले ही चल बसी. इस दीवाने के बिहार के मुख्यमंत्री नितीश कुमार ने भरी लोक अदालत में अपनी कुर्सी छोड़कर बैठने के लिए कहा और उन्होंने इस मौके पर मांझी को जीवंत शाहजहां का नाम देकर भी पुकारा था.
देखो इस दीवाने की दीवानगी कि अगर यह पहाड़ तोड़कर सरकार को रास्ता बना होता तो शायद बीस तीस लाख रुपए खर्च होते, मगर इस आशिक ने सिर्फ अपनी प्यारी पत्नी की छोटी सी चोट के बदले उस पहाड़ का सीना ही चीरकर रास्ता बना दिया. यह आशिक शनिवार 18 अगस्त 2007 को इस दुनिया को सदा के लिए अलविदा कहकर अपनी फगुनी के पास पहुंच गया, जो उसका सालों से स्वर्ग में इंतजार कर रही थी.
प्यार को खिलने दो..
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कैसे ले सही फैसला
• सबसे पहले अपनी पढाई पर ध्यान दें क्योंकि वो जीवनभर आपका साथ निभाएगी।
* लोगों के बहकावे में न आए। स्वविवेक से निर्णय ले।
* आपका विवेक काम ना करें तो विश्वसनीय मित्र की सलाह लें।
* आपका एक गलत कदम आपके व आपके परिवार के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
* अवयस्कता की उम्र में उठाया गया कोई भी गलत कदम आपके लिए मुश्किलों का कारण बन सकता है।
* अपने दिल की बात अपने परिवारवालों से शेयर करें।
जल्दबाजी में लिया गया निर्णय भविष्य में आपके लिए पछतावे का कारण बन सकता है। आपको पूरा हक है अपने हाथों से अपने सपनों को संजोने का। परंतु ऐसा न हो कि अपने एक गलत निर्णय के कारण आपका प्यार लंबी दूरी तक आपका साथ नहीं निभा सके
किसी के आते ही अचानक धड़कनों का तेज हो जाना, किसी के इंतजार में घंटों बैठे रहना, किसी के स्पर्श मात्र से ही जीवित हो उठना क्या सचमुच यही प्यार है। यदि सच कहें तो यह प्यार के प्राथमिक लक्षण है।
'प्यार' वही होता है जो आपको पूरी तरह से बदल कर दे। आप जो नहीं करते हो, वो आप करने लग जाए, आपको जो नापसंद हो वो आपकी पसंद बन जाए। प्यार में तो अक्सर ऐसा ही होता है।
कल तक हमारे समाज में प्यार को 'हव्वा' माना जाता था, जिसके डर से माँ-बाप अपने बच्चों को विवाह के बंधन में बाँध देते थे परंतु ऐसा करते वक्त वो यह भूल जाते थें कि प्यार तो वो सैलाब है तो परिवार व समाज की मर्यादाओं के बाँध को तोड़कर भी प्रस्फुटित हो उठता है।
यह वो रिश्ता है, जिसे किसी शाब्दिक अभिव्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती है। इसका तो अहसास मात्र ही आपके जीवन को बदलने के लिए काफी है।
प्यार हमेशा बुरा या अपमानित करने वाला होता है, ऐसा नहीं है। यह अपमानित होता है तो समाज की बंदिशों और संकुचित सोच के कारण वर्ना यह भी आम रिश्ते की तरह सहजता से जिया जा सकता है।
यदि किसी ने प्यार किया है तो उसने कोई गुनाह नहीं किया। जब तक समाज प्यार को गुनाह या गलती समझता रहेगा, तब तक प्रेमी बदनाम होते रहेंगे। क्यों न आज ही से अपनी सोच को विस्तृत करके इस रिश्ते को नया नाम व नई पहचान दी जाए।
प्यार हमेशा बुरा या अपमानित करने वाला होता है, ऐसा नहीं है। यह अपमानित होता है तो समाज की बंदिशों और संकुचित सोच के कारण वर्ना यह भी आम रिश्ते की तरह सहजता से जिया जा सकता है


• भुलाए नहीं भूलते।
युवाओं का प्यार कभी परवान चढ़ता है तो वो कॉलेज के दिनों में। दोपहर में कैंटीन में बैठकर एक-दूसरे को ताकना, घंटों तक मोबाइल पर बातें करना, क्लास के बहाने बाहर घूमने जाना। आखिर ये प्यार नहीं तो और क्या है? हम सभी को अपने कॉलेज के दिन भुलाए नहीं भूलते।
आखिर वो वक्त भी क्या वक्त था, जब हम बेखौफ होकर अपने साथी की बाँहों में बाँहें डाले घूमते थे, उस पर कोई नजर उठाकर तो देख ले, उसका नक्शा बदल देते थे। यह जोश तो केवल कॉलेज के दिनों में ही होता था, सच है ना?
उन दिनों के जोश के क्या कहने। कॉलेज के लड़के-लड़कियाँ जहाँ हम उम्र से युवा हो जाते हैं, वहीं विचारों से जोशीले व ऊर्जावान भी होते हैं तभी-तभी तो जोश-जोश में सबके सामने अपने प्यार को प्रपोज करने से भी नहीं डरते हैं
स्कूल से अचानक कॉलेज में दाखिला लेना जहाँ आजादी का परिचायक होता है, वहीं उन्मुक्तता का संकेत भी होता है। कॉलेज के दिनों में प्यार होना एक प्रकार से स्वभाविक भी है क्योंकि यही वह स्थान होता है जहाँ नए-नए दोस्त और नए-नए संबंध बनते हैं। कई बार तो सालों से चली आ रही दोस्ती भी इस दौर के आकर्षण व प्यार के आगे फीकी पड़ जाती है। कॉलेज कैंपस में सभी दोस्तों के साथ मिल बैठकर मौज-मस्ती करने का व नए दोस्तों के संपर्क में आने का बहाना जो मिल जाता है।
स्कूल की बजाय कॉलेज में युवाओं को आजादी अधिक मिलती है क्योंकि स्कूल में तो टाइमिंग के मामले में समझौता मतलब बात घर तक गई समझो और कॉलेज में तो 'जो होगा निपट लेंगे।' कॉलेज में क्लासेस का रेग्यूलर नहीं लगना युवाओं के दिलों में हिलोरे भरते प्यार को अभिव्यक्ति का एक मौका प्रदान करता है।



प्यार कम आकर्षण अधिक

कुछ लोग प्यार को आकर्षण का नाम देते हैं। युवाओं में तो अक्सर प्यार की नींव ही आकर्षण पर टिकी है। उनके लिए पहले आकर्षण होता है फिर प्यार होता है परंतु यह सही नहीं है। प्यार तो दिल से होता है फिर चाहे आपका प्रेमी काला-गोरा या अमीर-गरीब ही क्यों न हो। यदि आप प्यार को आकर्षण मात्र ही मानते हैं तो माफ कीजिएगा आपका वह प्यार, प्यार नहीं बल्कि धोखा है, जो किसी शर्त पर किया जा रहा है। कॉलेज में बन-सँवरकर आना, अपने नोटों की चमक दिखाकर किसी को अपना बनाना वास्तव में प्यार नहीं है। युवाओं का प्यार कभी परवान चढ़ता है तो वो कॉलेज के दिनों में। दोपहर में कैंटीन में बैठकर एक-दूसरे को ताकना, घंटों तक मोबाइल पर बातें करना, क्लास के बहाने बाहर घूमने जाना। आखिर ये प्यार नहीं तो और क्या है? हम सभी को अपने कॉलेज के दिन भुलाए नहीं भूलते। प्यार का हकीकत बन जिंदगी में रस घोलना केवल किस्मतवालों के साथ ही होता है। बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जो सही समय पर सही फैसला लेकर अपने प्यार को अपना लेते हैं वरना कई लोग तो बदनामी के डर से उसे बीच राह में ही छोड़कर किनारा कर लेते हैं। कहते हैं जब प्यार हो ही गया है तो उसे जमाने से छिपाने से क्या फायदा? जमाने के डर से अगर आपने अपने प्यार का इजहार नहीं किया तो कहीं ऐसा न हो जाए कि आपका प्यार आपका इंजार करते-करते मायूस होकर अपना इरादा न बदल दे। शारीरिक आकर्षण में आकर लड़के-लड़कियाँ एक-दूसरे के साथ अतिशीघ्र संबंध तो बना लेते हैं किंतु उस आकर्षण के खत्म होते ही
उतनी ही जल्दी संबंध विच्छेद भी कर लेते हैं। इस पर उनका तर्क होता है कि अब तुममें वो बात नहीं रही, जो पहले थी। प्रेमी जल्दबाजी में शादी तो कर लेते हैं परंतु जब मधुर दांपत्य जीवन की शीतल बयार में दुख के थपेड़े लगते हैं तब वे अपने फैसले पर पछताते हैं और इस सुंदर रिश्ते को प्यार, मोहब्बत से जीने के बजाय बोझ समझकर बेमन से ढोने लगते हैं। आखिर आपने तो प्यार किया है यदि आप प्यार करते हो, तो आपमें उस रिश्ते को जीवनभर निभाने की हिम्मत भी होनी चाहिए। आजकल के युवाओं का प्यार तो उस बदलते मौसम की तरह होता है, जो शादी की कोंपलों के खिलने से पूर्व ही अपनी तपिश का अहसास कराते हुए उन्हें जलाकर नष्ट कर देता है और अपना रुख पलट लेता है।प्यार करने के बाद शादी की बात तो बहुत कम युवा करते हैं बाकी तो मौज-मस्ती करके भूल जाते हैं। यदि आपका साथी आपको अपनाने को राजी है तथा वो इस रिश्ते को शादी के पवित्र बंधन में बाँधना चाहता है तो इसमें हर्ज ही क्या है? नासमझी में व लोगों की वाहवाही लूटने के लिए ऐसे प्रेमी जल्दबाजी में शादी तो कर लेते हैं परंतु जब मधुर दांपत्य जीवन की शीतल बयार में दुख के थपेड़े लगते हैं तब वे अपने फैसले पर पछताते हैं और इस सुंदर रिश्ते को प्यार, मोहब्बत से जीने के बजाय बोझ समझकर बेमन से ढोने लगते हैं। आखिर यह क्या है? आपने तो प्यार किया है। अपनी मर्जी से अपना जीवनसाथी चुना है फिर जीवन में इतनी असंतुष्टि क्यों? आपका साथी भला-बुरा कैसा भी हो, यदि आपके प्यार में ताकत है तो वो उसको पूरी तरह से बदल देगा। याद रखें जीवन में सभी को सबकुछ मिल जाए यह संभव नहीं है। समझौता तो हर इंसान को करना पड़ता है और यदि थोड़ा सा समझौता व नम्रता आपके संबंधों को मधुर बनाता है तो उस समझौते में हर्ज ही क्या है?
प्रेम करने वाली लड़की अक्सर हो जाती है खुद से गाफ़िल और दुनिया को अपने ही ढ़ग से बनाने-सँवारने की करती है कोशिश।
प्रेम करने वाली लड़की हवा में खूशबू की तरह बिखर जाना चाहती है उड़ना चाहती है स्वच्छंद पंछियों की तरह धूप सी हँसी ओढ़े। वह लड़की भर देना चाहती है उजास चँहु ओर।

प्रेम करने वाली लड़की सोना नही, चाँदी नही,गाड़ी नही, बँगला नही।. चाहती है बस किसी ऐसे का साथ जो समझ सके उसकी हर बात और अपने प्रेम की तपिश से उसे बना दे कुंदन सा सच्चा व पवित्र। अब वह आईना भी देखती है तो किसी दूसरे की नजर से परखती है स्वंय को और अपने स्व को दे देती है तिलांजलि। प्रेम करने वाली लड़की के पाँव किसी नाप की जूती में नही अटते, समाज के चलन से अलग होती है उसकी चाल।
माँ की आँख में अखरता है उसका रंग-ढ़ग, पिता का संदेह बढ़ता जाता है दिनों दिन और भाई की जासूस निगाहें करती रहती है पीछां गाँव-घर के लोग देने लगते है नसीहतें समझाने लगते है ऊँच-नीच अच्छे-बुरे के भेद मगर प्रेम करने वाली लड़की जानना समझना चाहती है दुनिया को


पहला चुंबन एक यादगार लम्हा

हर प्रेमी-प्रेमिका अपने साथी को 'किस' करना चाहते हैं और लगभग हर बार उन्हंि अपने साथी को किस करने के लिए थोड़ी-बहुत हिचकिचाहट और कुछ ना-नुकुर का सामना करना पड़ता है।
यदि प्रेमी-प्रेमिका पहली बार एक-दूसरे का चुंबन ले रहे हों तो दोनों का हड़बड़ाना स्वाभाविक है। वे तय नहीं कर पाते कि बातों ही बातों में कैसे चुंबन लिया जाए। पहली बार अपने साथी को किस करना सचमुच ही चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि अकसर पहली बार चुंबन लेते समय अपने साथी की प्रतिक्रिया के बारे में कुछ पता नहीं होता।
अकसर हम फिल्मों में चुंबन दृश्य देखते हैं, लेकिन उनके तरीके के सही होने में संदेह है। यह बात महत्वपूर्ण नहीं है कि आप पहली बार किस कर रहे हैं या कई बार कर चुके हैं, महत्वपूर्ण यह है कि क्या आप दिलकश किस कर पाते हैं? जो आपके दिल की धड़कन को बढ़ा दे और आपके साथी को आपके बारे में दिन-रात सोचने पर मजबूर कर दे। पहला किस आपके रोमांस संबंध की नींव होता है, इसे प्रभावी और यादगार बनाने के लिए नीचे कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं।
कब करें किस
जब प्रेमी मुलाकात खत्म करके अपने-अपने गंतव्य की ओर जा रहे हों तो किस करने का बेहतरीन समय होता है, इसे 'गुडबाय किस' कहते हैं। पहली बार किस करने का इससे बेहतर बहाना दूसरा और कोई नहीं हो सकता। यदि आप पहला किस पहली मुलाकात में ही कर रहे हैं तो यह इस बात का संकेत है कि आपने अपने साथी के साथ मुलाकात का भरपूर मजा लिया। यदि आपने दो-तीन मुलाकातों के बाद भी अपने साथी को किस नहीं किया है, तो वह सोचेगा कि आप उसमें बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।
कैसे जानें कि उन्हें किस चाहिए
किस करने में अमूमन प्रेमिकाएँ पहल नहीं करतीं, लेकिन वे अपने हाव-भाव से किस करने का निमंत्रण जरूर देती हैं, जिसे प्रेमी को समझना आवश्यक है। जैसे यदि प्रेमिका कुछ अधिक नेत्र सम्पर्क बनाए, सटकर बैठे और बार-बार अकारण ही आपको छू ले तो समझ लीजिए कि वह किस चाहती है।
पहला किस कैसा हो
किस आपके साथी के प्रति आपके व्यवहार और भावनाओं का प्रतीक होता है, इसलिए पहला किस जितना सौम्य हो उतना ही आपके संबंधों में निखार आएगा।
पहले किस के दौरान सलाइवा के आदान-प्रदान से बचा जाए तो बेहतर होगा, इसके अलावा बंद मुँह से बिना जीभ स्पर्श के किस करने से यह संदेश जाता है कि आप अपने साथी की बहुत परवाह करते हैं।
पहला किस कितना लंबा हो
पहला किस सिर्फ कुछ क्षणों का होना चाहिए, वैसे इसका कोई निश्चित समय तय नहीं है। जब आपके होंठ आपके साथी के होंठ को स्पर्श कर जाएँ तो कुछ सेकंड बाद आहिस्ता अपने होंठ अलग कर लें। किस के दौरान यदि आपको यह अहसास हो कि सामान्य से अधिक समय बीत चुका है और अब भी आप का साथी किस को जारी रखे हुए है तो आपको कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
हर व्यक्ति के किस करने का अपना एक खास स्टाइल होता है और जब उस खास स्टाइल को इन टिप्स के साथ अमल में लाया जाए तो किस यादगार और दिलकश होगा। अगर आपने अब तक अपने प्यार को पहला किस नहीं किया है तो जाइए और इन टिप्स को आजमाते हुए रूमानी किस कीजिए।













रात के 12 बजे
रात के करीब 12 बजे होंगे। अचानक ही मेरी नींद खुल गई। ड्राइवर ने बस को जोरदार ब्रेक मारा। बस का टायर पंक्चर हो जाने से वह बड़ी मुश्किल से स्टेयरिंग पर काबू कर सका था।
बारिश का मौसम होने के कारण बस में भी बहुत कम मुसाफिर थे। हम सभी लोग बस से नीचे उतर गए। सभी को जो भी वाहन मिला उनसे लिफ्ट लेकर इंदौर के लिए रवाना हुए। मैं अकेली डरी-सहमी हुई थी। सोचा था बस में ही रात गुजार दूँ लेकिन दो अनजान आदमियों (ड्राइवर और कंडक्टर) का भरोसा एक लड़की कैसे कर सकती है। एक लड़की के लिए भूत-पलीतों से ज्यादा डर उन लोगों से रहता है जो औरतों को अपनी हवस का शिकार बनाते हैं। जब बस के सभी यात्री वहाँ से रवाना हो गए तब मेरा यह डर बहुत ही बढ़ गया।
मैंने चलना शुरू किया। रास्ते में सोचती जा रही थी मालूम होता तो ओंकारेश्वर में रहनेवाले मेरे चाचा के घर से जल्दी निकल जाती। इस मुसीबत का सामना तो नहीं करना पड़ता शायद भगवान मेरी परीक्षा लेना चाहता था। आकाश में बिजली गरज रही थी। आसपास कुछ भी दिखाई नहीं देता था। चारों ओर बस जंगल ही जंगल।
कभी-कभी जंगली जानवरों की आवाज कानों से टकराकर चली जाती थी। चाँद भी आज मुझसे रूठा था। मालूम नहीं कहाँ छुप गया था। करीब आधा घंटा चली कि अचानक ही एक कार मेरे पास आकर रुक गई। उसे एक साँवला युवक चला रहा था। मैडम इतनी रात गए आप कहाँ जा रही हैं और ये बारिश...'चलो मैं आपको लिफ्ट दे देता हूँ।'
मेरे सामने एक विकट समस्या खड़ी हो गई..अगर उसको मना कर देती तो शायद कोई दूसरा मददगार न मिलता और अगर हाँ कह देती हूँ तो एक अनजाने शख्स पर भरोसा करूँ तो भी कैसे? एक तरफ कुआँ तो दूसरी तरफ खाई।
माँ कहा करती थी कि बेटी जब भी तुम कोई मुश्किल में फँस जाओ और उससे बाहर निकलने के लिए दो विकल्प हो..तब उसी विकल्प को पसंद करो जो तुम्हारा दिल चाहता है। मैंने वही किया और आखिर में उसकी कार की अगली सीट पर बैठ गई। उसका नाम दीपक था जो इस अंधकारभरी रात में मेरे लिए दीपक बनकर रास्ता दिखाने आ गया था।
बातों-बातों में मालूम पड़ा कि वह ग्वालियर का था और इंदौर किसी बिजनेस के काम से जा रहा है। मैंने उसमें एक बात खास देखी। पिछले आधे घंटे में उसने एक भी बार मेरे सामने नहीं देखा था। मुझे वह थोड़ा अकड़ू लगा। थोड़ा गुस्सा भी आया। शायद यह पहला शख्स होगा जिसको मेरी सुंदरता ने शिकार नहीं बनाया होगा। मेरा बदन भी पूरी तरह भीग चुका
उसने आगे बढ़कर मुझसे कोई बात नहीं की, जो भी सवाल मैंने किए वह सिर्फ उसका जवाब देता गया। यहाँ तक कि मुझे सामने से कहना पड़ा कि मेरा नाम निशा है और मैं इंदौर की रहने वाली हूँ। रात को ही उसे रास्ते में मोबाइल आया कि जिन लोगों से वह मिलने के लिए जा रहा है उन्हें इंदौर आने में कुछ वक्त लगेगा। अत: वह 4-6 घंटे और इंतजार कर ले।
करीब-करीब सुबह छ: बजे मैं अपने घर पहुँच गई। मैं इस मददगार को अपने परिवार से मिलवाना चाहती थी लेकिन अफसोस घर पर ताला लगा था। मेरे दिमाग में यह बात तो बिल्कुल ही नहीं रही कि मम्मी-पापा पाँच दिनों के लिए एक रिश्तेदार की बेटी की शादी में भोपाल गए हुए हैं। अब इस शख्स को घर के अंदर ले जाऊँ तो भी कैसे? वह स्थिति समझ गया और जाने की तैयारी करने लगा। लेकिन मैंने हिम्मत जुटाकर उससे कॉफी पीने का आग्रह किया जिसके लिए वह राजी हो गया। हम घर के अंदर गए। मैं उसको गेस्ट रूम में बैठाकर कॉफी बनाने चली गई। कॉफी पीने के बाद मैंने उससे कहा कि आप आज हमारे मेहमान हैं। वैसे भी आपको ग्वालियर जाने की जल्दी नहीं है... बुरा न मानें तो जाते-जाते हमारा यह शहर ही देखकर जाइए।
अचानक मेरे प्रस्ताव से उसकी आँखें चार हो गई। एक तो वह पहले से ही डरा हुआ था क्योंकि जब से वह मेरे घर में दाखिल हुआ था तब से अपने हाथ में पहनी हुई घड़ी को बार बार देख रहा था शायद वह जल्दी मुझसे छुटकारा पाना चाहता था।
परंतु वह मेरी बात को नहीं टाल सका। हँसकर बोला चलिए इसी बहाने आपका शहर देख लेंगे। हम दोनों तैयार होकर निकल पड़े। इंदौर की 2-3 ख्यात जगह दिखाने के बाद आखिर में हम खजराना मंदिर पहुँचे।
उस दिन मंदिर के ट्रस्ट के द्वारा एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था। मैंने पहले भी अनेक बार रक्त दान किया और इसमें मुझे बहुत सुकून मिलता है और मैंने यहाँ भी खून देने का निर्णय लिया और दीपक को भी इसके लिए प्रेरित किया। लेकिन उसने इसमें रूचि नहीं दिखाई। उसके इस निर्णय पर मुझे आश्चर्यमिश्रित दुख हुआ।
दर्शन करने के बाद हम वापस आए। मैंने बीच रास्ते में कुछ सामान खरीदा उसको उपहार के तौर पर गणेशजी की एक छोटी प्रतिमा दी। अब हमारी जुदाई का समय आ गया था। मैंने उसकी सहायता के लिए आभार व्यक्त करते हुए उसे विदा किया। पल भर में ही उसकी कार मेरी नजरो से ओझल हो गई। लेकिन जल्दबाजी और घबराहट में उसका कॉन्टैक्ट नंबर लेना भूल गई या वह ग्वालियर में कहाँ रहता है यह भी नहीं जान पाई।
खैर इस बात को तीन महीने हो गए। मैं अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गई। एक दिन दोपहर को अचानक ही मेरे घर की डोरबेल बजी... डाकिया डाक छोड़कर गया था। मैंने उसको उठाया। वह किसी अनाथाश्रम से आया था। मैं उसे पढ़ने लगी।
'' प्रिय निशा'
मुझे मालूम है कि तुम मुझसे नाराज होगी..तुम्हारा गुस्सा होना भी लाजमी भी है...क्योंकि मैंने एक भी बार तुमसे प्यार से बात नहीं की। तुमसे मुलाकात के बाद दिल करता था कि निशा का दीपक बनकर जीवनभर जगमगाता रहूँ लेकिन इस दीपक की लौ में इतनी ताकत नहीं थी कि वह जीवनभर तुम्हारा साथ दे सकती। जीवन में हम जो चाहते हैं वह हमें कभी नहीं मिलता और हमने जिसके बारे में कल्पना भी नहीं कि होती वह अचानक हमारी नजरों के सामने आकर खड़ा हो जाता है।
मुझे ब्लड कैंसर था और इसकी जानकारी भी डॉक्टरों को अंतिम स्टेज पर आकर हुई थी। इसीलिए उस दिन मैं रक्तदान नहीं कर सका था। डॉक्टरों के अनुसार मेरी जिंदगी के सिर्फ तीन महीने बचे हैं इसलिए ही जीवन के अंतिम दिनों में भगवान की खोज के लिए निकल पड़ा था। ओंकारेश्वर से लेकर खजराना तक इस खोज में तुमने मेरा साथ दिया।
यह पत्र जब तुम्हारे पास पहुँचेगा तब तक मैं इस दुनिया को अलविदा कह चुका होउँगा। मैंने तुम्हारी दी हुई गणेशजी की मूर्ति उसी अनाथाश्रम के मंदिर में रख दी है जहाँ पर मैं पला-बढ़ा था।
- दीपक
खत पढ़ने के बाद मेरे पैरों तले से जमीन खिसक गई। मेरे आँसू ठहरने का नाम नहीं ले रहे थे। अचानक ही आँखों के सामने अँधेरा छा गया जब आँख खुली तो मैं एक बिस्तर पर लेटी थी। सामने मम्मी और पापा एक डॉक्टर के साथ चिंतित मुद्रा में खड़े सबसे अनमोल तोहफा प्यार
कुदरत का सबसे अनमोल तोहफा प्यार है। यह बाँटने से और बढ़ता है तथा अपनी भीनी-भीनी महक को प्रकृति में चारों ओर बिखेर देता है। यूँ तो प्यार के प्रेम, इश्क, लव रोमांस, चाहत, मोहब्बत जैसे कई प्यारे नाम हैं पर प्यार की खूबसूरती पर इन नामों का कोई असर नहीं होता है। लोग बदल जाते हैं, पर प्यार कभी नहीं बदलता है। यह तो ऐसा संक्रामक रोग है जो देखने से भी फैलता है और कभी भी, कहीं भी, किसी को भी हो सकता है।
कुछ लोग कहते हैं कि प्यार किया नहीं जाता, बस हो जाता है। पर प्यार देखकर, समझकर तो किया ही जा सकता है। प्यार क्या है, किससे करें, कब करें ऐसे कई अनसुलझे सवाल हैं कि अगर जानबूझकर इन्हें नजरअंदाज किया जाए तो अंत में निराशा तथा दिल के टूटने की आहट ही सुनाई देती है। कई बार जिएँगे तो साथ-मरेंगे तो साथ ऐसी कसमें खाकर उसे निभाने के वादे तो लोग कर लेते हैं लेकिन प्रेम में परवान चढ़ते-चढ़ते जब जिंदगी की हकीकत से सामना होता है तो सारे सपने उनके कदमों तले टूटकर बिखर जाते हैं और कुछ दिनों का इश्क जीवनभर के अश्क बन जाता है।
यह स्थिति स्वाभाविक भी है क्योंकि जब कोई किसी से सच्चा प्रेम करता है एवं केवल सामने वाले के रूप-रंग से आकर्षित नहीं होता बल्कि उसकी सीख से प्रेम करता है तो वह कभी भी यह जानने की कोशिश नहीं करता है कि वह जिसके इश्क में गिरफ्तार है, वह उसके प्रति क्या सोचता/सोचती है। वह वफादार है या नहीं। उसकी आने वाले भविष्य में क्या योजनाएँ एवं संभावनाएँ हैं। इसी का परिणाम होता है- मोहब्बत में बेवफाई। हालाँकि सभी के साथ ऐसा नहीं होता है कि इश्क में ठोकरें ही मिलें, पर कोई जानबूझकर






यह दुनिया बड़ी गोल है।
कई आशिकों की गाड़ी जब प्यार के प्लेटफार्म से गुजरकर शादी के स्टेशन पर रुकती है तो बिना टिकट के यात्री की तरह इनकी सचाई भी सामने आने लगती है। ऐसे में समझदार माँ-पिता केवल प्यार के नाम पर ही बेटे-बेटी की शादी उस लड़के-लड़की से करने को तैयार नहीं होते हैं जो केवल प्यार का दम भरता है। ऐसे मामलों में अगर कभी शादी हो भी जाए तो लोग कुछ दिनों तक तो मदद करते हैं, फिर तो दोस्त भी कन्नी काट लेते हैं।
ऐसे में विवाह भी नाकामयाब हो जाता है और छोटी-सी गलती नासूर बनकर जीवनभर दर्द का अनुभव कराती है। कहने का अर्थ यह है कि जिस प्रकार पैसा कमाने के लिए शिक्षा, अनुभव एवं सीखना आवश्यक है, उसी प्रकार प्रेम को जीवन पर्यन्त सुंदर बनाए रखने के लिए भी यह जरूरी है कि हम इसके बारे में देख लें, परख लें एवं धोखा खाने से संभवतः बचने का प्रयास करें।
यूँ तो प्यार में चोट देने वाला, पहचान के बाद भी चोट दे सकता है। पर फिर भी थोड़ी खोजबीन जरूरी है। आपने देखा भी होगा कि कोई आपको प्यार तो बहुत करता है पर कह नहीं पाता या फिर हमेशा ही जताता रहता है। ऐसी स्थिति में कभी-कभी आप बड़ी उलझनों में भी घिर जाते हैं। इन समस्याओं से बचने और अपने प्यार को परखने के लिए कुछ सामान्य से उपाय करके देखिए- * अगर सामने वाला चाहता है और आपके लिए कुछ भी करने को तैयार है परंतु इस बात को अहसान बताकर याद दिलाता रहता है तो समझ लेना चाहिए कि वह आपसे प्यार नहीं करता है और आपको अपने अहसानों तले दबाकर रखना चाहता है।
* यदि आपका प्रेमी/प्रेमिका आपके सामने ही आपके दोस्त या सहेलियों को मोहने की कोशिश कर रहे हों तो आगे क्या होगा। यह जरूर सोचें। अगर आगे भी वह ऐसा ही व्यवहार रखता है तो वह इनसान प्रेमी तो क्या दोस्त भी नहीं बनाया जा सकता है।
* प्यार में उपहारों का बड़ा गहरा रिश्ता है। यदि कोई आपको ऐसा तोहफा दे जो आपके बहुत काम का हो, तो यह समझना होगा कि वह आपका ख्याल रखता है एवं स्वयं से अधिक आपकी भावनाओं के बारे में सोचता है। ऐसा व्यक्ति आपके लिए बेहतर साथी सिद्ध हो सकता है।
* अगर आपको पसंद करने वाला आपकी सभी बातों का समर्थन करे, चाहे गलत हो या सही, तो मानना चाहिए कि सामने वाला आपको पाने के मकसद से ही आपकी गलतियों को छिपा रहा है। ऐसा वह किसी और स्थिति में भी कर सकता है।
* यदि प्रेमी/प्रेमिका आपकी उन मामलों में भी मदद करे, जो उसकी सीमा के बाहर है तो यह मानना चाहिए कि आपको बहुत चाहता है और सदा काम करने के लिए आगे रहता है।
* अगर कभी प्यार करने वाला आपका जन्मदिन ही भूल जाए या अन्य जरूरी मौकों पर सहयोग न करे और प्यार का दम भरे तो समझ लीजिए कि वह आपके बारे में कम और खुद की रक्षा करने के बारे में अधिक सोचता है।
* यदि कोई लम्बे समय तक आपसे मिलता रहे, प्यार जताता रहे परंतु शादी की बात बिना किसी बड़े कारण के टालता रहे तो निश्चित ही वह आपसे शादी नहीं करना चाहता है। केवल टाइमपास बना रखा है। ऐसे में तत्काल निर्णय लेना चाहिए।
* शादी से पहले ही अगर साथी का व्यवहार एवं माँगें अनुचित हों तथा तरह-तरह के प्रलोभन देकर वह केवल अपनी बात ही मनवाना चाहे तो स्वयं फैसला कीजिए कि ऐसा साथी जीवन के सफर में आप से कितनी वफा निभा सकेगा।
यदि आपको चाहने वाला आपके अलावा आपके पूरे परिवार को भी उचित मान-सम्मान देता है तथा परिवार में सदस्य की तरह ही व्यवहार करे तो मान लीजिए कि ऐसे व्यक्ति से आप शादी कर सकते हैं।
* शादी से पहले लड़के/लड़की के परिवार संबंधी एवं कामकाज के बारे में भी खोज कर लें। प्रेमी यदि बेरोजगार है तो सोच-समझकर ही प्यार को आगे बढ़ाएँ अन्यथा स्पष्ट बात कर लें।
कुल मिलाकर इन बिंदुओं के आधार पर आप कम से कम यह निष्कर्ष तो निकाल ही सकते हैं कि जिससे आप प्यार कर रहे हैं वह आपके साथ कहाँ तक चल पाएगा। यकीन मानिए इनको अपनाकर अगर आपने अपने दिल को टूटने से बचा लिया तो कभी भविष्य में यह नहीं सुनना पड़ेगा कि
'मुहब्बत है, जरा सोच समझकर रोना……………………………….एक आँसू भी टूटा, तो सुनाई देगा।'
इसलिए प्यार में बेवफाई करने और सहने से अच्छा है कि जब प्यार हो तो प्यार को कसौटी पर घिसकर परख भी लें।
यह दुनिया बड़ी गोल है। गोल होने के बावजूद यहाँ पर कई सारे झोल है।" यहाँ पर हर दिन किसी ना किसी गली, या नुक्कड में प्यार का इजहार होता है..इन्कार होता है इकरार और इंतजार होता है। आखिर यही चीजें ही तो प्यार को हमेशा जोड़कर रखती है। यहाँ पर पल में कोई जीवन भर के लिए आप के साथ जुड़ जाता है जबकि दूसरे ही पल आप से नाता तोड़ चला जाता है। आड़ी-टेढ़ी गलियों और रास्तों में। यहाँ प्यार को छोड़ने और पकड़ने का तमाशा आए दिन होता रहता है।
इस तमाशे के मुख्य किरदार प्यार करने वाले दो शख्स है और देखने वाली सारी दुनिया हैं। यहाँ सच्चे प्रेमी को कभी-कभी बेवफाई का झटका भी लगता है, कभी फटका भी लगता है, कभी धक्का भी लगता है तो कभी मुक्का भी लगता है। कभी-कभी यही झटके और फटके जीवन को नरक बना देते हैं।
जब होश आता है तो मालूम पड़ता है कि हम घूम-फिर कर वहीं आ गए है जहाँ से हमने शुरुआत की थी। बस साथ देने वाला वो हमसफर नहीं है वह तो कब से आप को चूना लगाकर आगे निकल गया है।
लेकिन फिर भी उसकी महक आप को हर पल महसूस होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि वह अब आपके सामने प्रत्यक्ष तौर पर मौजूद नहीं है उसकी छवि अब आप को चाँद-तारों में दिखाई देती है। सागर की लहरों में और वीणा के स्वरों में उसकी आवाज सुनाई देती है। खिलते हुए फूलों में, गीत गाते हुए पँछियों में हर जगह बस आप उसको ही पाते हैं।
आखिर इसी का नाम ही तो प्यार है । सच्चा प्रेम वही है जिसमें आपका पूरी तरह डूब जाने का मन करता है। जहाँ पर दिल अपना होने के बावजूद भी दर्द पराए सहे जाते हैं। यहाँ कोई सवाल किया नहीं जाता क्योंकि प्रेम है तो प्रश्न नहीं है। प्रेम सदा ही सब कुछ खोने को तैयार होता है लेकिन यदि प्रेम नहीं है तो फिर प्रश्न ही प्रश्न है।




एक बार मुस्करा दो
अगर आप भी अपनी गर्लफ्रेंड के होंठों पर मुस्कान देखना चाहते हैं तो हम बताते हैं उसके लिए कुछ टिप्स, जिससे आपकी वो खुश हो जाएँगी और उनकी खुशी से बढ़कर आपको और क्या चाहिए? तो लीजिए-
* उनसे कहें कि वह खूबसूरत है कभी भी उन्हें हॉट या सेक्सी न कहें।
* उनका हाथ कुछ सेकंड के लिए जरूर थामें।
* प्यार से उनके सिर को चूमें।
* नींद से जगाने के लिए उनकी ही रिकॉर्ड आवाज को उन्हें सुनाएँ।
* उन्हें बराबर यह बात कहते रहें कि आप उन्हें कितना प्यार करते हैं।
* अगर वह परेशान है तो उन्हें गले लगाकर इस बात का एहसास दिलाएँ कि वह आपके लिए कितना मायने रखती है।
* उनकी छोटी-छोटी बातों का भी ख्याल रखें, क्योंकि यह प्यार का बहुत जरूरी हिस्सा होता है।
* कभी-कभी उनके पसंदीदा गाने भी उन्हें सुनाएँ, चाहे आपकी आवाज कितनी भी खराब क्यों न हो।
* उनके दोस्तों के साथ भी कुछ समय बिताएँ।
* उनके नोट्स आप तैयार कर दें।
* अपने परिवार के लोगों और दोस्तों से भी उन्हें मिलाएँ, इससे आपके प्रति विश्वास बढ़ेगा।
* उनके बालों को प्यार से सहलाएँ, इससे उन्हें सुकून मिलेगा।
* कभी-कभी आप उनके साथ मस्ती भरा खेल भी खेलें, जैसे गुदगुदाना, गोद में उठाना, कुश्ती करना।
* पार्क लेकर घूमने जाएँ और अपने दिल की बातें कहें।
* हँसाने के लिए जोक्स सुनाएँ।
* आधी रात को उनकी खिड़की के नीचे छोटे से पत्थर का टुकड़ा फेंकें और उन्हें बताएँ कि आप उन्हें कितना 'मिस' कर रहे हैं।
* सोते वक्त उनके नीचे गिरते हाथों को अपने हाथों में ले लें।
* अपने नामों को पेड़ पर लिखकर घेरें।
* जब वह आप में पूरी तरह खो जाए तो उसे प्यार से चूमें।
* उन्हें कभी-कभी अपने कंधों पर उठाएँ।
* उनके लिए फूलों का तोहफा ले जाएँ।
* अपने दोस्तों के बीच भी उनके साथ वैसा ही व्यवहार करें, जैसा आप अकेले में करते हैं।
* उनकी आँखों में देखकर मुस्कराएँ।
* आपकी जो तस्वीर उन्हें पसंद हो उन्हें जरूर दें।
* उनके साथ डांस करें, अगर म्यूजिक न हो तो भी।
* बारिश में उन्हें चूमें।
* हमेशा अपने प्यार का इजहार करते रहें।





जब प्यार किसी से होता है


पुरुषों की सबसे बड़ी गलती यही होती है कि वो पहली ही मुलाकात में सोचने लगने लगते हैं कि लड़कियाँ उनकी दोस्त नहीं गर्लफ्रेंड बनें। ये बात उन्हें निराश करती है कि उनसे जितनी भी लड़कियाँ मिलती हैं वो उन्हें दोस्त ही क्यों बनाना चाहती हैं। ऐसे लड़कों को अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए, ताकि हर लड़की आपकी ही ख्वाहिश रखे। आइए कुछ ऐसी ही बातों पर आपका ध्यान दिलाते हैं, जिससे आप अपनी गर्लफ्रेंड के दिल में जगह बना सकें-
* ज्यादा भावुक न हों - अक्सर यह देखा जाता है कि पुरुष प्यार में ज्यादा भावुक हो जाते हैं। ऐसा करने से बचें। ऐसा न हो कि आप अपनी भावुकता में अपने दिल की बात कह ही न सकें। कोई और उसकी जिंदगी में आ जाए। इसलिए जो भी मन की बात हो उसे स्पष्ट रूप से कहें। आप क्या चाहते हैं, आपकी अपने साथी से क्या अपेक्षाएँ हैं सारी बातें दिल खोलकर करें। हो सकता है वह बहुत खुश होगी या फिर बहुत ही नाराज।
* अपना निर्णय भी दें - लड़कियों को हमेशा ऐसे लड़के पसंद आते हैं, जो अपना निर्णय ले सकें और उसपर कायम रहें। अगर वो आपसे पूछे कि आज हमें कहाँ चलना चाहिए, तो अनमना-सा जवाब न दें कि आपको नहीं पता। आपका यह व्यवहार यह दर्शाता है कि आपमें निर्णय लेने की क्षमता नहीं है और लड़कियों को ऐसे पुरुष कभी पसंद नहीं आते हैं।
* अवसादग्रस्त न रहें - यह संभव नहीं कि इंसान हमेशा खुश रहे, लेकिन हमेशा अवसाद से घिरे न रहें। कोई भी लड़की यह नहीं चाहेगी कि उसका साथी हमेशा परेशान और थका-हारा सा रहे। वह चाहती है कि उसका पुरुष साथी अपने लक्ष्य के प्रति सजग और आत्मविश्वासी हो।
* जल्दबाजी न करें - अगर आपको कोई लड़की पसंद है और आप उसे दोस्त नहीं गर्लफ्रेंड बनाना चाहते हैं तो हड़बड़ी न करें। अगर वो आपसे कहती है कि आप उनके सबसे अच्छे दोस्त हैं तो अपनी दोस्ती में खलल न डालें। पहले दोस्ती की ही पहल करें। इस रिश्ते में आप खुद को ज्याद सहज महसूस कर पाएँगे।
यह कैसा वेलेंटाइन डे है
हम क्यों मनाते हैं वेलेंटाइन डे? हमारा इससे क्या वास्ता? हमें इससे क्या लेना-देना? न तो यह हमारी संस्कृति में है और न ही हमारे देश में कभी इस दिवस का प्रचलन था। फिर क्यों कर हम इसे मनाएँ। फिर भी हम इसे मनाते हैं। हम भारतवासी हैं। हमने दुनिया को प्यार करना सिखाया है। इसलिए दुनिया में अगर प्रेम के लिए कोई दिवस मनाया जाता है तो हम क्यों इसे ठुकराएँ। हमने तो हमेशा सबका आदर किया है। इतिहास गवाह है कि भारतवासियों ने अपने दिल में सदा से ही हर उस सभ्यता को अपनाया है जो प्रेम, अहिंसा का संदेश देती है। हमारे देश में विश्व के सभी प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। हम हिन्दुस्तानी मंदिर के सामने से निकलें या मस्जिद के या किसी चर्च के, श्रद्धा से अपना शीश झुकाते ही हैं। कोई संत हो या फकीर या फादर, हम उन्हें आदर की दृष्टि से देखते हैं। हमारे पूर्वजों ने दूसरों का आदर करना हमें सिखाया है। हम दूसरों की संस्कृति को बहुत जल्द आत्मसात कर लेते हैं। यह हमारे स्वभाव में है। हमारा सोच हमेशा सकारात्मक रहा है। हम भारत ही नहीं दुनिया के सारे देशों का आदर करते हैं। तो फिर क्यों न हम वेलेंटाइन डे भी मनाएँ। मनाएँगे और जरूर मनाएँगे। लेकिन आज के कथित संकीर्ण सोच वाले युवाओं ने इसे विकृत बना दिया है। जिस प्रकार से 31िदसंबर को कहीं-कहीं असभ्य और अशालीन तरीके से मनाया जाता है ठीक उसी प्रकार वेलेंटाइन डे को कुछ लोगों ने बना दिया है। हमने दुनिया को प्यार करना सिखाया है। इसलिए दुनिया में अगर प्रेम के लिए कोई दिवस मनाया जाता है तो हम क्यों इसे ठुकराएँ। हमने तो हमेशा सबका आदर किया है। इतिहास गवाह है कि भारतवासियों ने अपने दिल में सदा से ही हर उस सभ्यता को अपनाया है। पिछले वर्ष की बात है एक लड़की को 14 फरवरी की सुबह एक गिफ्ट मिलता है जिसमें किसी का नाम नहीं होता। वह कुछ अजीब सा रहता है। वह उसे एक तरफ रख देती है। लेकिन शाम को वह गिफ्ट पहुँचाने वाला उसके घर पहुँच जाता है और लड़की को अपने साथ चलने के लिए कहता है। जब वह मना करती है तो वह उससे कहता है कि आज वेलेंटाइन डे है और तुमने मेरा गिफ्ट स्वीकार किया है।
इसलिए तुम्हें मेरे साथ चलना ही होगा। यह असभ्य तरीका ठीक नहीं है। वह लड़की तो समझदारी से संभल जाती है लेकिन अनेक युवा-युवतियाँ इस प्रणय निवेदन को अपनाकर कुछ ऐसे कदम उठा लेते हैं जिसके बाद में पछतावे के सिवा कुछ नहीं रह जाता।होना तो यह चाहिए कि इस वेलेंटाइन डे की तमाम अच्छाइयों को हम अपनी संस्कृति में मिलाएँ और फिर इसे मनाएँ तब देखिए जिंदगी कितनी खुशहाल लगने लगेगी। हमारी संस्कृति में लड़का-लड़की अगर माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध शादी करते हैं तो लोग यही कहते हैं कि लड़की भाग गई। उसका यूँ जाना ऐसा लगता है मानो उसने अनर्थ किया हो। जबकि सच यही है कि उसने अनर्थ किया है। माता-पिता जिन्होंने 20-25 साल उसे प्यार किया वे उसे अपने नहीं लगते उसके आगे जो मात्र कुछ दिनों से उसे चाहता है। आधी उम्र माता-पिता के साथ गुजारने के बाद बची आधी उम्र माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध गुजारना क्या उनके साथ न्याय है। क्या उनकी इच्छा, अपेक्षा और समाज में उनके हैसियत के साथ खिलवाड़ करना उनके सम्मान को अपमानित करने जैसा नहीं है। आज मीडिया कुछ कंपनियों के उत्पाद बेचने, उनकी पब्लिसिटी के लिए युवा को प्रणय निवेदन करने के तरह-तरह के प्रलोभन देता है। टिप्स बताता है। मोबाइल कंपनियाँ अपना कारोबार करने के लिए तरह-तरह की आकर्षक योजनाएँ चलाती हैं। अनेक प्रकार के आर्टिकल्स और लुभावने उदाहरण देकर युवा वर्ग को आकर्षित करते हैं। युवा इनसे भ्रमित हो जाते हैं। इनमें लिखे प्रेमी-प्रेमियों के किस्से इन्हें अपने लगने लगते हैं। विभिन्न चैनल भी अनेक प्रकार के कार्यक्रम प्रायोजित करते हैं। केवल अपनी दुकान चलाने के लिए ये सब समाज का कितना नुकसान करते हैं यह तो केवल समझने वाला ही समझ सकता है।
जब टूटे नादाँ दिल

दिल का मामला बड़ा ही अजीबो-गरीब होता है। आप इसके रास्ते जरा से भावुक हुए और दिमाग पर से आपका कंट्रोल हटा। इसलिए बेहतर तो यही है कि इस रोग से दूर से ही नमस्ते की जाए, लेकिन यदि दिल कहीं लग ही गया है और उसे चोट भी लगी है तो इस तरह से उसकी साज-संभाल करें।
* टूटे दिल का बोझ छाती पर न रखें। अपने मन की भावनाओं को बाहर निकाले। रोएँ, चिल्लाएँ, तकिए पर चोट करें। इससे बहुत राहत मिलेगी। मन हल्का करने के लिए अपने किसी अजीज से अपने दिल की बात कहें, उसे राजदाँ बनाएँ। दोस्त नहीं है तो घर के किसी सदस्य को अपने बारे में सब कुछ बताएँ।
* जरूरी नहीं है कि आप में ही कोई खोट हो। अपने आपका अवमूल्यन क्यों करें? बेहतर है अपने मन को समझाएँ कि वह बेवफा प्रेमी प्यार के लायक था ही नहीं। अच्छा हुआ विवाह करने से पहले ही सारी असलियत सामने आ गई।
* अपना ध्यान कुछ रचनात्मक कार्यों जैसे बागवानी, संगीत, खाना बनाना आदि में लगाएँ।
* टूटे दिल के बोझ को हल्का करने का एक प्राकृतिक तरीका है दूर तक पैदल घूमें। अगर तैरना आता है और सुविधा है तो देर तक तैरें। कोई कॉमेडी फिल्म देखें।
* अगर कोई दोस्त शहर से बाहर कहीं दूसरी जगह रहता है तो उसके यहाँ घूम आएँ।
* घर के कामों में हाथ बटाएँ।
* ध्यान बँटाने के लिए जिम ज्वाइन करें।
* पार्लर में जाकर मसाज कराएँ, अपने कमरे या ऑफिस की जगह को साफ-सुथरा बनाएँ।
* सुबह-सुबह पार्क जाएँ, वहाँ मंडली बनाकर योग करने वालों से बातें करें। योग सीखें।
* जो प्रेमी आप से दूर हो गया है उसके बारे में भी अच्छी विचारधारा रखें। इससे आप में हिचक प्रवृत्ति में कमी आएगी और मन का जहर घुल जाएगा।
* यह सोचें कि जो कुछ हुआ अच्छा हुआ, शायद आगे और बहुत कुछ ऐसा होता, जो गलत होता।
* यदि इस सबके बाद भी मन पुरानी यादों में भटकता रहे तो किसी मनोचिकित्सक से मिलें। वह आपको स्वस्थ करने में मदद देगा।
* दिल में बसी पुरानी यादों को निकालने के लिए एक मनोवैज्ञानिक तरीका यह है कि जो कुछ भी आपके दिल-दिमाग में उमड़-घुमड़ रहा हो उसे तब तक लिखते रहें जब तक थककर हाथ लिखना बंद न कर दें।
* बार-बार यह प्रक्रिया अपनाएँ एक स्थिति ऐसी आएगी कि आप ऊब जाएँगे और लगने लगेगा कि संबंध टूटना सही ही हुआ।

क्यों होता है प्यार ?

एक प्यार करने वाले से पूछा गया कि प्यार क्या होता है? कैसा लगता है? तो उसका जवाब था कि प्यार गेहूँ की तरह बंद है, अगर पीस दें तो उजला हो जाएगा, पानी के साथ गूँथ लो तो लचीला हो जाएगा... बस यह लचीलापन ही प्यार है, लचीलापन पूरी तरह समर्पण से आता है, जहाँ न कोई सीमा है न शर्त। प्यार एक एहसास है, भावना है। प्रेम परंपराएँ तोड़ता है। प्यार त्याग व समरसता का नाम है। प्रेम की अभिव्यक्ति सबसे पहले आँखों से होती है और फिर होंठ हाले दिल बयाँ करते हैं। और सबसे मज़ेदार बात यह होती है कि आपको प्यार कब, कैसे और कहाँ हो जाएगा आप खुद भी नहीं जान पाते। वो पहली नजर में भी हो सकता है और हो सकता है कि कई मुलाकातें भी आपके दिल में किसी के प्रति प्यार न जगा सकें। प्रेम तीन स्तरों में प्रेमी के जीवन में आता है। चाहत, वासना और आसक्ति के रूप में। इन तीनों को पा लेना प्रेम को पूरी तरह से पा लेना है। इसके अलावा प्रेम से जुड़ी कुछ और बातें भी हैं – प्रेम का दार्शनिक पक्ष- प्रेम पनपता है तो अहंकार टूटता है। अहंकार टूटने से सत्य का जन्म होता है। यह स्थिति तो बहुत ऊपर की है, यदि हम प्रेम में श्रद्धा मिला लें तो प्रेम भक्ति बन जाता है, जो लोक-परलोक दोनों के लिए ही कल्याणकारी है। इसलिए गृहस्थ आश्रम श्रेष्ठ है, क्योंकि हमारे पास भक्ति का कवच है। जहाँ तक मीरा, सूफी संतों की बात है, उनका प्रेम अमृत है।
साथ ही अन्य तमाम रिश्तों की तरह ही प्रेम का भी वास्तविक पहलू ये है कि इसमें भी संमजस्य बेहद जरूरी है। आप यदि बेतरतीबी से हारमोनियम के स्वर दबाएँ तो कर्कश शोर ही सुनाई देगा, वहीं यदि क्रमबद्ध दबाएँ तो मधुर संगीत गूँजेगा। यही समरसता प्यार है, जिसके लिए सामंजस्य बेहद जरूरी है। प्रेम का पौराणिक पक्ष- प्रेम के पौराणिक पक्ष को लेकर पहला सवाल यही दिमाग में आता है कि प्रेम किस धरातल पर उपजा-वासना या फिर चाहत....? माना प्रेम में काम का महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन महज वासना के दम पर उपजे प्रेम का अंत तलाक ही होता है। जबकि चाहत के रंगों में रंगा प्यार ज़िंदगीभर बहार बन दिलों में खिलता है, जिसकी महक उम्रभर आपके साथ होती है। प्रेम का प्रतीक गुलाब- सुगंध और सौंदर्य का अनुपम समन्वय गुलाब सदियों से प्रेमी-प्रेमिकाओं के आकर्षण का केंद्र रहा है। गुलाब का जन्म स्थान कहाँ है यह आज भी विवाद का विषय बना हुआ है। इस पर कथाएँ तो कई हैं, लेकिन एक कथा के अनुसार जहाँ-जहाँ पैगम्बर के पसीने की बूँदें गिरीं, वहाँ-वहाँ गुलाब के पौधे उग आए। लाल गुलाब की कली मासूमियत का प्रतीक है और यह संदेश देती है तुम सुंदर और प्यारी हो। लाल गुलाब किसी को भेंट किया जाए तो यह संदेश है कि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ। सफेद गुलाब गोपनीयता रखते हुए कहता है कि तुम्हारा सौंदर्य नैसर्गिक है। जहाँ पीला गुलाब प्रसन्नता व्यक्त करता है, वहीं गुलाबी रंग प्रसन्नता और कृतज्ञता व्यक्त करता है। गुलाब यदि दोस्ती का प्रतीक है तो गुलाब की पत्तियाँ आशा की प्रतीक हैं। Gayanendaryadav@gmail.com

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