Monday, February 1, 2010

कैसे ले सही फैसला

कैसे ले सही फैसला
• सबसे पहले अपनी पढाई पर ध्यान दें क्योंकि वो जीवनभर आपका साथ निभाएगी।
* लोगों के बहकावे में न आए। स्वविवेक से निर्णय ले।
* आपका विवेक काम ना करें तो विश्वसनीय मित्र की सलाह लें।
* आपका एक गलत कदम आपके व आपके परिवार के लिए नुकसानदेह हो सकता है।
* अवयस्कता की उम्र में उठाया गया कोई भी गलत कदम आपके लिए मुश्किलों का कारण बन सकता है।
* अपने दिल की बात अपने परिवारवालों से शेयर करें।
जल्दबाजी में लिया गया निर्णय भविष्य में आपके लिए पछतावे का कारण बन सकता है। आपको पूरा हक है अपने हाथों से अपने सपनों को संजोने का। परंतु ऐसा न हो कि अपने एक गलत निर्णय के कारण आपका प्यार लंबी दूरी तक आपका साथ नहीं निभा सके
किसी के आते ही अचानक धड़कनों का तेज हो जाना, किसी के इंतजार में घंटों बैठे रहना, किसी के स्पर्श मात्र से ही जीवित हो उठना क्या सचमुच यही प्यार है। यदि सच कहें तो यह प्यार के प्राथमिक लक्षण है।
'प्यार' वही होता है जो आपको पूरी तरह से बदल कर दे। आप जो नहीं करते हो, वो आप करने लग जाए, आपको जो नापसंद हो वो आपकी पसंद बन जाए। प्यार में तो अक्सर ऐसा ही होता है।
कल तक हमारे समाज में प्यार को 'हव्वा' माना जाता था, जिसके डर से माँ-बाप अपने बच्चों को विवाह के बंधन में बाँध देते थे परंतु ऐसा करते वक्त वो यह भूल जाते थें कि प्यार तो वो सैलाब है तो परिवार व समाज की मर्यादाओं के बाँध को तोड़कर भी प्रस्फुटित हो उठता है।
यह वो रिश्ता है, जिसे किसी शाब्दिक अभिव्यक्ति की आवश्यकता नहीं होती है। इसका तो अहसास मात्र ही आपके जीवन को बदलने के लिए काफी है।
प्यार हमेशा बुरा या अपमानित करने वाला होता है, ऐसा नहीं है। यह अपमानित होता है तो समाज की बंदिशों और संकुचित सोच के कारण वर्ना यह भी आम रिश्ते की तरह सहजता से जिया जा सकता है।
यदि किसी ने प्यार किया है तो उसने कोई गुनाह नहीं किया। जब तक समाज प्यार को गुनाह या गलती समझता रहेगा, तब तक प्रेमी बदनाम होते रहेंगे। क्यों न आज ही से अपनी सोच को विस्तृत करके इस रिश्ते को नया नाम व नई पहचान दी जाए।
प्यार हमेशा बुरा या अपमानित करने वाला होता है, ऐसा नहीं है। यह अपमानित होता है तो समाज की बंदिशों और संकुचित सोच के कारण वर्ना यह भी आम रिश्ते की तरह सहजता से जिया जा सकता है


• भुलाए नहीं भूलते।
युवाओं का प्यार कभी परवान चढ़ता है तो वो कॉलेज के दिनों में। दोपहर में कैंटीन में बैठकर एक-दूसरे को ताकना, घंटों तक मोबाइल पर बातें करना, क्लास के बहाने बाहर घूमने जाना। आखिर ये प्यार नहीं तो और क्या है? हम सभी को अपने कॉलेज के दिन भुलाए नहीं भूलते।
आखिर वो वक्त भी क्या वक्त था, जब हम बेखौफ होकर अपने साथी की बाँहों में बाँहें डाले घूमते थे, उस पर कोई नजर उठाकर तो देख ले, उसका नक्शा बदल देते थे। यह जोश तो केवल कॉलेज के दिनों में ही होता था, सच है ना?
उन दिनों के जोश के क्या कहने। कॉलेज के लड़के-लड़कियाँ जहाँ हम उम्र से युवा हो जाते हैं, वहीं विचारों से जोशीले व ऊर्जावान भी होते हैं तभी-तभी तो जोश-जोश में सबके सामने अपने प्यार को प्रपोज करने से भी नहीं डरते हैं
स्कूल से अचानक कॉलेज में दाखिला लेना जहाँ आजादी का परिचायक होता है, वहीं उन्मुक्तता का संकेत भी होता है। कॉलेज के दिनों में प्यार होना एक प्रकार से स्वभाविक भी है क्योंकि यही वह स्थान होता है जहाँ नए-नए दोस्त और नए-नए संबंध बनते हैं। कई बार तो सालों से चली आ रही दोस्ती भी इस दौर के आकर्षण व प्यार के आगे फीकी पड़ जाती है। कॉलेज कैंपस में सभी दोस्तों के साथ मिल बैठकर मौज-मस्ती करने का व नए दोस्तों के संपर्क में आने का बहाना जो मिल जाता है।
स्कूल की बजाय कॉलेज में युवाओं को आजादी अधिक मिलती है क्योंकि स्कूल में तो टाइमिंग के मामले में समझौता मतलब बात घर तक गई समझो और कॉलेज में तो 'जो होगा निपट लेंगे।' कॉलेज में क्लासेस का रेग्यूलर नहीं लगना युवाओं के दिलों में हिलोरे भरते प्यार को अभिव्यक्ति का एक मौका प्रदान करता है।



प्यार कम आकर्षण अधिक

कुछ लोग प्यार को आकर्षण का नाम देते हैं। युवाओं में तो अक्सर प्यार की नींव ही आकर्षण पर टिकी है। उनके लिए पहले आकर्षण होता है फिर प्यार होता है परंतु यह सही नहीं है। प्यार तो दिल से होता है फिर चाहे आपका प्रेमी काला-गोरा या अमीर-गरीब ही क्यों न हो। यदि आप प्यार को आकर्षण मात्र ही मानते हैं तो माफ कीजिएगा आपका वह प्यार, प्यार नहीं बल्कि धोखा है, जो किसी शर्त पर किया जा रहा है। कॉलेज में बन-सँवरकर आना, अपने नोटों की चमक दिखाकर किसी को अपना बनाना वास्तव में प्यार नहीं है। युवाओं का प्यार कभी परवान चढ़ता है तो वो कॉलेज के दिनों में। दोपहर में कैंटीन में बैठकर एक-दूसरे को ताकना, घंटों तक मोबाइल पर बातें करना, क्लास के बहाने बाहर घूमने जाना। आखिर ये प्यार नहीं तो और क्या है? हम सभी को अपने कॉलेज के दिन भुलाए नहीं भूलते। प्यार का हकीकत बन जिंदगी में रस घोलना केवल किस्मतवालों के साथ ही होता है। बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जो सही समय पर सही फैसला लेकर अपने प्यार को अपना लेते हैं वरना कई लोग तो बदनामी के डर से उसे बीच राह में ही छोड़कर किनारा कर लेते हैं। कहते हैं जब प्यार हो ही गया है तो उसे जमाने से छिपाने से क्या फायदा? जमाने के डर से अगर आपने अपने प्यार का इजहार नहीं किया तो कहीं ऐसा न हो जाए कि आपका प्यार आपका इंजार करते-करते मायूस होकर अपना इरादा न बदल दे। शारीरिक आकर्षण में आकर लड़के-लड़कियाँ एक-दूसरे के साथ अतिशीघ्र संबंध तो बना लेते हैं किंतु उस आकर्षण के खत्म होते ही
उतनी ही जल्दी संबंध विच्छेद भी कर लेते हैं। इस पर उनका तर्क होता है कि अब तुममें वो बात नहीं रही, जो पहले थी। प्रेमी जल्दबाजी में शादी तो कर लेते हैं परंतु जब मधुर दांपत्य जीवन की शीतल बयार में दुख के थपेड़े लगते हैं तब वे अपने फैसले पर पछताते हैं और इस सुंदर रिश्ते को प्यार, मोहब्बत से जीने के बजाय बोझ समझकर बेमन से ढोने लगते हैं। आखिर आपने तो प्यार किया है यदि आप प्यार करते हो, तो आपमें उस रिश्ते को जीवनभर निभाने की हिम्मत भी होनी चाहिए। आजकल के युवाओं का प्यार तो उस बदलते मौसम की तरह होता है, जो शादी की कोंपलों के खिलने से पूर्व ही अपनी तपिश का अहसास कराते हुए उन्हें जलाकर नष्ट कर देता है और अपना रुख पलट लेता है।प्यार करने के बाद शादी की बात तो बहुत कम युवा करते हैं बाकी तो मौज-मस्ती करके भूल जाते हैं। यदि आपका साथी आपको अपनाने को राजी है तथा वो इस रिश्ते को शादी के पवित्र बंधन में बाँधना चाहता है तो इसमें हर्ज ही क्या है? नासमझी में व लोगों की वाहवाही लूटने के लिए ऐसे प्रेमी जल्दबाजी में शादी तो कर लेते हैं परंतु जब मधुर दांपत्य जीवन की शीतल बयार में दुख के थपेड़े लगते हैं तब वे अपने फैसले पर पछताते हैं और इस सुंदर रिश्ते को प्यार, मोहब्बत से जीने के बजाय बोझ समझकर बेमन से ढोने लगते हैं। आखिर यह क्या है? आपने तो प्यार किया है। अपनी मर्जी से अपना जीवनसाथी चुना है फिर जीवन में इतनी असंतुष्टि क्यों? आपका साथी भला-बुरा कैसा भी हो, यदि आपके प्यार में ताकत है तो वो उसको पूरी तरह से बदल देगा। याद रखें जीवन में सभी को सबकुछ मिल जाए यह संभव नहीं है। समझौता तो हर इंसान को करना पड़ता है और यदि थोड़ा सा समझौता व नम्रता आपके संबंधों को मधुर बनाता है तो उस समझौते में हर्ज ही क्या है?
प्रेम करने वाली लड़की अक्सर हो जाती है खुद से गाफ़िल और दुनिया को अपने ही ढ़ग से बनाने-सँवारने की करती है कोशिश।
प्रेम करने वाली लड़की हवा में खूशबू की तरह बिखर जाना चाहती है उड़ना चाहती है स्वच्छंद पंछियों की तरह धूप सी हँसी ओढ़े। वह लड़की भर देना चाहती है उजास चँहु ओर।

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