Monday, February 1, 2010

पहला चुंबन एक यादगार लम्हा

प्रेम करने वाली लड़की सोना नही, चाँदी नही,गाड़ी नही, बँगला नही।. चाहती है बस किसी ऐसे का साथ जो समझ सके उसकी हर बात और अपने प्रेम की तपिश से उसे बना दे कुंदन सा सच्चा व पवित्र। अब वह आईना भी देखती है तो किसी दूसरे की नजर से परखती है स्वंय को और अपने स्व को दे देती है तिलांजलि। प्रेम करने वाली लड़की के पाँव किसी नाप की जूती में नही अटते, समाज के चलन से अलग होती है उसकी चाल।
माँ की आँख में अखरता है उसका रंग-ढ़ग, पिता का संदेह बढ़ता जाता है दिनों दिन और भाई की जासूस निगाहें करती रहती है पीछां गाँव-घर के लोग देने लगते है नसीहतें समझाने लगते है ऊँच-नीच अच्छे-बुरे के भेद मगर प्रेम करने वाली लड़की जानना समझना चाहती है दुनिया को


पहला चुंबन एक यादगार लम्हा

हर प्रेमी-प्रेमिका अपने साथी को 'किस' करना चाहते हैं और लगभग हर बार उन्हंि अपने साथी को किस करने के लिए थोड़ी-बहुत हिचकिचाहट और कुछ ना-नुकुर का सामना करना पड़ता है।
यदि प्रेमी-प्रेमिका पहली बार एक-दूसरे का चुंबन ले रहे हों तो दोनों का हड़बड़ाना स्वाभाविक है। वे तय नहीं कर पाते कि बातों ही बातों में कैसे चुंबन लिया जाए। पहली बार अपने साथी को किस करना सचमुच ही चुनौतीपूर्ण है, क्योंकि अकसर पहली बार चुंबन लेते समय अपने साथी की प्रतिक्रिया के बारे में कुछ पता नहीं होता।
अकसर हम फिल्मों में चुंबन दृश्य देखते हैं, लेकिन उनके तरीके के सही होने में संदेह है। यह बात महत्वपूर्ण नहीं है कि आप पहली बार किस कर रहे हैं या कई बार कर चुके हैं, महत्वपूर्ण यह है कि क्या आप दिलकश किस कर पाते हैं? जो आपके दिल की धड़कन को बढ़ा दे और आपके साथी को आपके बारे में दिन-रात सोचने पर मजबूर कर दे। पहला किस आपके रोमांस संबंध की नींव होता है, इसे प्रभावी और यादगार बनाने के लिए नीचे कुछ टिप्स दिए जा रहे हैं।
कब करें किस
जब प्रेमी मुलाकात खत्म करके अपने-अपने गंतव्य की ओर जा रहे हों तो किस करने का बेहतरीन समय होता है, इसे 'गुडबाय किस' कहते हैं। पहली बार किस करने का इससे बेहतर बहाना दूसरा और कोई नहीं हो सकता। यदि आप पहला किस पहली मुलाकात में ही कर रहे हैं तो यह इस बात का संकेत है कि आपने अपने साथी के साथ मुलाकात का भरपूर मजा लिया। यदि आपने दो-तीन मुलाकातों के बाद भी अपने साथी को किस नहीं किया है, तो वह सोचेगा कि आप उसमें बिलकुल भी दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं।
कैसे जानें कि उन्हें किस चाहिए
किस करने में अमूमन प्रेमिकाएँ पहल नहीं करतीं, लेकिन वे अपने हाव-भाव से किस करने का निमंत्रण जरूर देती हैं, जिसे प्रेमी को समझना आवश्यक है। जैसे यदि प्रेमिका कुछ अधिक नेत्र सम्पर्क बनाए, सटकर बैठे और बार-बार अकारण ही आपको छू ले तो समझ लीजिए कि वह किस चाहती है।
पहला किस कैसा हो
किस आपके साथी के प्रति आपके व्यवहार और भावनाओं का प्रतीक होता है, इसलिए पहला किस जितना सौम्य हो उतना ही आपके संबंधों में निखार आएगा।
पहले किस के दौरान सलाइवा के आदान-प्रदान से बचा जाए तो बेहतर होगा, इसके अलावा बंद मुँह से बिना जीभ स्पर्श के किस करने से यह संदेश जाता है कि आप अपने साथी की बहुत परवाह करते हैं।
पहला किस कितना लंबा हो
पहला किस सिर्फ कुछ क्षणों का होना चाहिए, वैसे इसका कोई निश्चित समय तय नहीं है। जब आपके होंठ आपके साथी के होंठ को स्पर्श कर जाएँ तो कुछ सेकंड बाद आहिस्ता अपने होंठ अलग कर लें। किस के दौरान यदि आपको यह अहसास हो कि सामान्य से अधिक समय बीत चुका है और अब भी आप का साथी किस को जारी रखे हुए है तो आपको कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए।
हर व्यक्ति के किस करने का अपना एक खास स्टाइल होता है और जब उस खास स्टाइल को इन टिप्स के साथ अमल में लाया जाए तो किस यादगार और दिलकश होगा। अगर आपने अब तक अपने प्यार को पहला किस नहीं किया है तो जाइए और इन टिप्स को आजमाते हुए रूमानी किस कीजिए।













रात के 12 बजे
रात के करीब 12 बजे होंगे। अचानक ही मेरी नींद खुल गई। ड्राइवर ने बस को जोरदार ब्रेक मारा। बस का टायर पंक्चर हो जाने से वह बड़ी मुश्किल से स्टेयरिंग पर काबू कर सका था।
बारिश का मौसम होने के कारण बस में भी बहुत कम मुसाफिर थे। हम सभी लोग बस से नीचे उतर गए। सभी को जो भी वाहन मिला उनसे लिफ्ट लेकर इंदौर के लिए रवाना हुए। मैं अकेली डरी-सहमी हुई थी। सोचा था बस में ही रात गुजार दूँ लेकिन दो अनजान आदमियों (ड्राइवर और कंडक्टर) का भरोसा एक लड़की कैसे कर सकती है। एक लड़की के लिए भूत-पलीतों से ज्यादा डर उन लोगों से रहता है जो औरतों को अपनी हवस का शिकार बनाते हैं। जब बस के सभी यात्री वहाँ से रवाना हो गए तब मेरा यह डर बहुत ही बढ़ गया।
मैंने चलना शुरू किया। रास्ते में सोचती जा रही थी मालूम होता तो ओंकारेश्वर में रहनेवाले मेरे चाचा के घर से जल्दी निकल जाती। इस मुसीबत का सामना तो नहीं करना पड़ता शायद भगवान मेरी परीक्षा लेना चाहता था। आकाश में बिजली गरज रही थी। आसपास कुछ भी दिखाई नहीं देता था। चारों ओर बस जंगल ही जंगल।
कभी-कभी जंगली जानवरों की आवाज कानों से टकराकर चली जाती थी। चाँद भी आज मुझसे रूठा था। मालूम नहीं कहाँ छुप गया था। करीब आधा घंटा चली कि अचानक ही एक कार मेरे पास आकर रुक गई। उसे एक साँवला युवक चला रहा था। मैडम इतनी रात गए आप कहाँ जा रही हैं और ये बारिश...'चलो मैं आपको लिफ्ट दे देता हूँ।'
मेरे सामने एक विकट समस्या खड़ी हो गई..अगर उसको मना कर देती तो शायद कोई दूसरा मददगार न मिलता और अगर हाँ कह देती हूँ तो एक अनजाने शख्स पर भरोसा करूँ तो भी कैसे? एक तरफ कुआँ तो दूसरी तरफ खाई।
माँ कहा करती थी कि बेटी जब भी तुम कोई मुश्किल में फँस जाओ और उससे बाहर निकलने के लिए दो विकल्प हो..तब उसी विकल्प को पसंद करो जो तुम्हारा दिल चाहता है। मैंने वही किया और आखिर में उसकी कार की अगली सीट पर बैठ गई। उसका नाम दीपक था जो इस अंधकारभरी रात में मेरे लिए दीपक बनकर रास्ता दिखाने आ गया था।
बातों-बातों में मालूम पड़ा कि वह ग्वालियर का था और इंदौर किसी बिजनेस के काम से जा रहा है। मैंने उसमें एक बात खास देखी। पिछले आधे घंटे में उसने एक भी बार मेरे सामने नहीं देखा था। मुझे वह थोड़ा अकड़ू लगा। थोड़ा गुस्सा भी आया। शायद यह पहला शख्स होगा जिसको मेरी सुंदरता ने शिकार नहीं बनाया होगा। मेरा बदन भी पूरी तरह भीग चुका
उसने आगे बढ़कर मुझसे कोई बात नहीं की, जो भी सवाल मैंने किए वह सिर्फ उसका जवाब देता गया। यहाँ तक कि मुझे सामने से कहना पड़ा कि मेरा नाम निशा है और मैं इंदौर की रहने वाली हूँ। रात को ही उसे रास्ते में मोबाइल आया कि जिन लोगों से वह मिलने के लिए जा रहा है उन्हें इंदौर आने में कुछ वक्त लगेगा। अत: वह 4-6 घंटे और इंतजार कर ले।
करीब-करीब सुबह छ: बजे मैं अपने घर पहुँच गई। मैं इस मददगार को अपने परिवार से मिलवाना चाहती थी लेकिन अफसोस घर पर ताला लगा था। मेरे दिमाग में यह बात तो बिल्कुल ही नहीं रही कि मम्मी-पापा पाँच दिनों के लिए एक रिश्तेदार की बेटी की शादी में भोपाल गए हुए हैं। अब इस शख्स को घर के अंदर ले जाऊँ तो भी कैसे? वह स्थिति समझ गया और जाने की तैयारी करने लगा। लेकिन मैंने हिम्मत जुटाकर उससे कॉफी पीने का आग्रह किया जिसके लिए वह राजी हो गया। हम घर के अंदर गए। मैं उसको गेस्ट रूम में बैठाकर कॉफी बनाने चली गई। कॉफी पीने के बाद मैंने उससे कहा कि आप आज हमारे मेहमान हैं। वैसे भी आपको ग्वालियर जाने की जल्दी नहीं है... बुरा न मानें तो जाते-जाते हमारा यह शहर ही देखकर जाइए।
अचानक मेरे प्रस्ताव से उसकी आँखें चार हो गई। एक तो वह पहले से ही डरा हुआ था क्योंकि जब से वह मेरे घर में दाखिल हुआ था तब से अपने हाथ में पहनी हुई घड़ी को बार बार देख रहा था शायद वह जल्दी मुझसे छुटकारा पाना चाहता था।
परंतु वह मेरी बात को नहीं टाल सका। हँसकर बोला चलिए इसी बहाने आपका शहर देख लेंगे। हम दोनों तैयार होकर निकल पड़े। इंदौर की 2-3 ख्यात जगह दिखाने के बाद आखिर में हम खजराना मंदिर पहुँचे।
उस दिन मंदिर के ट्रस्ट के द्वारा एक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया था। मैंने पहले भी अनेक बार रक्त दान किया और इसमें मुझे बहुत सुकून मिलता है और मैंने यहाँ भी खून देने का निर्णय लिया और दीपक को भी इसके लिए प्रेरित किया। लेकिन उसने इसमें रूचि नहीं दिखाई। उसके इस निर्णय पर मुझे आश्चर्यमिश्रित दुख हुआ।
दर्शन करने के बाद हम वापस आए। मैंने बीच रास्ते में कुछ सामान खरीदा उसको उपहार के तौर पर गणेशजी की एक छोटी प्रतिमा दी। अब हमारी जुदाई का समय आ गया था। मैंने उसकी सहायता के लिए आभार व्यक्त करते हुए उसे विदा किया। पल भर में ही उसकी कार मेरी नजरो से ओझल हो गई। लेकिन जल्दबाजी और घबराहट में उसका कॉन्टैक्ट नंबर लेना भूल गई या वह ग्वालियर में कहाँ रहता है यह भी नहीं जान पाई।
खैर इस बात को तीन महीने हो गए। मैं अपनी जिंदगी में व्यस्त हो गई। एक दिन दोपहर को अचानक ही मेरे घर की डोरबेल बजी... डाकिया डाक छोड़कर गया था। मैंने उसको उठाया। वह किसी अनाथाश्रम से आया था। मैं उसे पढ़ने लगी।
'' प्रिय निशा'
मुझे मालूम है कि तुम मुझसे नाराज होगी..तुम्हारा गुस्सा होना भी लाजमी भी है...क्योंकि मैंने एक भी बार तुमसे प्यार से बात नहीं की। तुमसे मुलाकात के बाद दिल करता था कि निशा का दीपक बनकर जीवनभर जगमगाता रहूँ लेकिन इस दीपक की लौ में इतनी ताकत नहीं थी कि वह जीवनभर तुम्हारा साथ दे सकती। जीवन में हम जो चाहते हैं वह हमें कभी नहीं मिलता और हमने जिसके बारे में कल्पना भी नहीं कि होती वह अचानक हमारी नजरों के सामने आकर खड़ा हो जाता है।
मुझे ब्लड कैंसर था और इसकी जानकारी भी डॉक्टरों को अंतिम स्टेज पर आकर हुई थी। इसीलिए उस दिन मैं रक्तदान नहीं कर सका था। डॉक्टरों के अनुसार मेरी जिंदगी के सिर्फ तीन महीने बचे हैं इसलिए ही जीवन के अंतिम दिनों में भगवान की खोज के लिए निकल पड़ा था। ओंकारेश्वर से लेकर खजराना तक इस खोज में तुमने मेरा साथ दिया।
यह पत्र जब तुम्हारे पास पहुँचेगा तब तक मैं इस दुनिया को अलविदा कह चुका होउँगा। मैंने तुम्हारी दी हुई गणेशजी की मूर्ति उसी अनाथाश्रम के मंदिर में रख दी है जहाँ पर मैं पला-बढ़ा था।
- दीपक
खत पढ़ने के बाद मेरे पैरों तले से जमीन खिसक गई। मेरे आँसू ठहरने का नाम नहीं ले रहे थे। अचानक ही आँखों के सामने अँधेरा छा गया जब आँख खुली तो मैं एक बिस्तर पर लेटी थी। सामने मम्मी और पापा एक डॉक्टर के साथ चिंतित मुद्रा में खड़े सबसे अनमोल तोहफा प्यार
कुदरत का सबसे अनमोल तोहफा प्यार है। यह बाँटने से और बढ़ता है तथा अपनी भीनी-भीनी महक को प्रकृति में चारों ओर बिखेर देता है। यूँ तो प्यार के प्रेम, इश्क, लव रोमांस, चाहत, मोहब्बत जैसे कई प्यारे नाम हैं पर प्यार की खूबसूरती पर इन नामों का कोई असर नहीं होता है। लोग बदल जाते हैं, पर प्यार कभी नहीं बदलता है। यह तो ऐसा संक्रामक रोग है जो देखने से भी फैलता है और कभी भी, कहीं भी, किसी को भी हो सकता है।
कुछ लोग कहते हैं कि प्यार किया नहीं जाता, बस हो जाता है। पर प्यार देखकर, समझकर तो किया ही जा सकता है। प्यार क्या है, किससे करें, कब करें ऐसे कई अनसुलझे सवाल हैं कि अगर जानबूझकर इन्हें नजरअंदाज किया जाए तो अंत में निराशा तथा दिल के टूटने की आहट ही सुनाई देती है। कई बार जिएँगे तो साथ-मरेंगे तो साथ ऐसी कसमें खाकर उसे निभाने के वादे तो लोग कर लेते हैं लेकिन प्रेम में परवान चढ़ते-चढ़ते जब जिंदगी की हकीकत से सामना होता है तो सारे सपने उनके कदमों तले टूटकर बिखर जाते हैं और कुछ दिनों का इश्क जीवनभर के अश्क बन जाता है।
यह स्थिति स्वाभाविक भी है क्योंकि जब कोई किसी से सच्चा प्रेम करता है एवं केवल सामने वाले के रूप-रंग से आकर्षित नहीं होता बल्कि उसकी सीख से प्रेम करता है तो वह कभी भी यह जानने की कोशिश नहीं करता है कि वह जिसके इश्क में गिरफ्तार है, वह उसके प्रति क्या सोचता/सोचती है। वह वफादार है या नहीं। उसकी आने वाले भविष्य में क्या योजनाएँ एवं संभावनाएँ हैं। इसी का परिणाम होता है- मोहब्बत में बेवफाई। हालाँकि सभी के साथ ऐसा नहीं होता है कि इश्क में ठोकरें ही मिलें, पर कोई जानबूझकर






यह दुनिया बड़ी गोल है।
कई आशिकों की गाड़ी जब प्यार के प्लेटफार्म से गुजरकर शादी के स्टेशन पर रुकती है तो बिना टिकट के यात्री की तरह इनकी सचाई भी सामने आने लगती है। ऐसे में समझदार माँ-पिता केवल प्यार के नाम पर ही बेटे-बेटी की शादी उस लड़के-लड़की से करने को तैयार नहीं होते हैं जो केवल प्यार का दम भरता है। ऐसे मामलों में अगर कभी शादी हो भी जाए तो लोग कुछ दिनों तक तो मदद करते हैं, फिर तो दोस्त भी कन्नी काट लेते हैं।
ऐसे में विवाह भी नाकामयाब हो जाता है और छोटी-सी गलती नासूर बनकर जीवनभर दर्द का अनुभव कराती है। कहने का अर्थ यह है कि जिस प्रकार पैसा कमाने के लिए शिक्षा, अनुभव एवं सीखना आवश्यक है, उसी प्रकार प्रेम को जीवन पर्यन्त सुंदर बनाए रखने के लिए भी यह जरूरी है कि हम इसके बारे में देख लें, परख लें एवं धोखा खाने से संभवतः बचने का प्रयास करें।
यूँ तो प्यार में चोट देने वाला, पहचान के बाद भी चोट दे सकता है। पर फिर भी थोड़ी खोजबीन जरूरी है। आपने देखा भी होगा कि कोई आपको प्यार तो बहुत करता है पर कह नहीं पाता या फिर हमेशा ही जताता रहता है। ऐसी स्थिति में कभी-कभी आप बड़ी उलझनों में भी घिर जाते हैं। इन समस्याओं से बचने और अपने प्यार को परखने के लिए कुछ सामान्य से उपाय करके देखिए- * अगर सामने वाला चाहता है और आपके लिए कुछ भी करने को तैयार है परंतु इस बात को अहसान बताकर याद दिलाता रहता है तो समझ लेना चाहिए कि वह आपसे प्यार नहीं करता है और आपको अपने अहसानों तले दबाकर रखना चाहता है।
* यदि आपका प्रेमी/प्रेमिका आपके सामने ही आपके दोस्त या सहेलियों को मोहने की कोशिश कर रहे हों तो आगे क्या होगा। यह जरूर सोचें। अगर आगे भी वह ऐसा ही व्यवहार रखता है तो वह इनसान प्रेमी तो क्या दोस्त भी नहीं बनाया जा सकता है।
* प्यार में उपहारों का बड़ा गहरा रिश्ता है। यदि कोई आपको ऐसा तोहफा दे जो आपके बहुत काम का हो, तो यह समझना होगा कि वह आपका ख्याल रखता है एवं स्वयं से अधिक आपकी भावनाओं के बारे में सोचता है। ऐसा व्यक्ति आपके लिए बेहतर साथी सिद्ध हो सकता है।
* अगर आपको पसंद करने वाला आपकी सभी बातों का समर्थन करे, चाहे गलत हो या सही, तो मानना चाहिए कि सामने वाला आपको पाने के मकसद से ही आपकी गलतियों को छिपा रहा है। ऐसा वह किसी और स्थिति में भी कर सकता है।
* यदि प्रेमी/प्रेमिका आपकी उन मामलों में भी मदद करे, जो उसकी सीमा के बाहर है तो यह मानना चाहिए कि आपको बहुत चाहता है और सदा काम करने के लिए आगे रहता है।
* अगर कभी प्यार करने वाला आपका जन्मदिन ही भूल जाए या अन्य जरूरी मौकों पर सहयोग न करे और प्यार का दम भरे तो समझ लीजिए कि वह आपके बारे में कम और खुद की रक्षा करने के बारे में अधिक सोचता है।
* यदि कोई लम्बे समय तक आपसे मिलता रहे, प्यार जताता रहे परंतु शादी की बात बिना किसी बड़े कारण के टालता रहे तो निश्चित ही वह आपसे शादी नहीं करना चाहता है। केवल टाइमपास बना रखा है। ऐसे में तत्काल निर्णय लेना चाहिए।
* शादी से पहले ही अगर साथी का व्यवहार एवं माँगें अनुचित हों तथा तरह-तरह के प्रलोभन देकर वह केवल अपनी बात ही मनवाना चाहे तो स्वयं फैसला कीजिए कि ऐसा साथी जीवन के सफर में आप से कितनी वफा निभा सकेगा।
यदि आपको चाहने वाला आपके अलावा आपके पूरे परिवार को भी उचित मान-सम्मान देता है तथा परिवार में सदस्य की तरह ही व्यवहार करे तो मान लीजिए कि ऐसे व्यक्ति से आप शादी कर सकते हैं।
* शादी से पहले लड़के/लड़की के परिवार संबंधी एवं कामकाज के बारे में भी खोज कर लें। प्रेमी यदि बेरोजगार है तो सोच-समझकर ही प्यार को आगे बढ़ाएँ अन्यथा स्पष्ट बात कर लें।
कुल मिलाकर इन बिंदुओं के आधार पर आप कम से कम यह निष्कर्ष तो निकाल ही सकते हैं कि जिससे आप प्यार कर रहे हैं वह आपके साथ कहाँ तक चल पाएगा। यकीन मानिए इनको अपनाकर अगर आपने अपने दिल को टूटने से बचा लिया तो कभी भविष्य में यह नहीं सुनना पड़ेगा कि
'मुहब्बत है, जरा सोच समझकर रोना……………………………….एक आँसू भी टूटा, तो सुनाई देगा।'
इसलिए प्यार में बेवफाई करने और सहने से अच्छा है कि जब प्यार हो तो प्यार को कसौटी पर घिसकर परख भी लें।
यह दुनिया बड़ी गोल है। गोल होने के बावजूद यहाँ पर कई सारे झोल है।" यहाँ पर हर दिन किसी ना किसी गली, या नुक्कड में प्यार का इजहार होता है..इन्कार होता है इकरार और इंतजार होता है। आखिर यही चीजें ही तो प्यार को हमेशा जोड़कर रखती है। यहाँ पर पल में कोई जीवन भर के लिए आप के साथ जुड़ जाता है जबकि दूसरे ही पल आप से नाता तोड़ चला जाता है। आड़ी-टेढ़ी गलियों और रास्तों में। यहाँ प्यार को छोड़ने और पकड़ने का तमाशा आए दिन होता रहता है।
इस तमाशे के मुख्य किरदार प्यार करने वाले दो शख्स है और देखने वाली सारी दुनिया हैं। यहाँ सच्चे प्रेमी को कभी-कभी बेवफाई का झटका भी लगता है, कभी फटका भी लगता है, कभी धक्का भी लगता है तो कभी मुक्का भी लगता है। कभी-कभी यही झटके और फटके जीवन को नरक बना देते हैं।
जब होश आता है तो मालूम पड़ता है कि हम घूम-फिर कर वहीं आ गए है जहाँ से हमने शुरुआत की थी। बस साथ देने वाला वो हमसफर नहीं है वह तो कब से आप को चूना लगाकर आगे निकल गया है।
लेकिन फिर भी उसकी महक आप को हर पल महसूस होती है। फर्क सिर्फ इतना है कि वह अब आपके सामने प्रत्यक्ष तौर पर मौजूद नहीं है उसकी छवि अब आप को चाँद-तारों में दिखाई देती है। सागर की लहरों में और वीणा के स्वरों में उसकी आवाज सुनाई देती है। खिलते हुए फूलों में, गीत गाते हुए पँछियों में हर जगह बस आप उसको ही पाते हैं।
आखिर इसी का नाम ही तो प्यार है । सच्चा प्रेम वही है जिसमें आपका पूरी तरह डूब जाने का मन करता है। जहाँ पर दिल अपना होने के बावजूद भी दर्द पराए सहे जाते हैं। यहाँ कोई सवाल किया नहीं जाता क्योंकि प्रेम है तो प्रश्न नहीं है। प्रेम सदा ही सब कुछ खोने को तैयार होता है लेकिन यदि प्रेम नहीं है तो फिर प्रश्न ही प्रश्न है।




एक बार मुस्करा दो
अगर आप भी अपनी गर्लफ्रेंड के होंठों पर मुस्कान देखना चाहते हैं तो हम बताते हैं उसके लिए कुछ टिप्स, जिससे आपकी वो खुश हो जाएँगी और उनकी खुशी से बढ़कर आपको और क्या चाहिए? तो लीजिए-
* उनसे कहें कि वह खूबसूरत है कभी भी उन्हें हॉट या सेक्सी न कहें।
* उनका हाथ कुछ सेकंड के लिए जरूर थामें।
* प्यार से उनके सिर को चूमें।
* नींद से जगाने के लिए उनकी ही रिकॉर्ड आवाज को उन्हें सुनाएँ।
* उन्हें बराबर यह बात कहते रहें कि आप उन्हें कितना प्यार करते हैं।
* अगर वह परेशान है तो उन्हें गले लगाकर इस बात का एहसास दिलाएँ कि वह आपके लिए कितना मायने रखती है।
* उनकी छोटी-छोटी बातों का भी ख्याल रखें, क्योंकि यह प्यार का बहुत जरूरी हिस्सा होता है।
* कभी-कभी उनके पसंदीदा गाने भी उन्हें सुनाएँ, चाहे आपकी आवाज कितनी भी खराब क्यों न हो।
* उनके दोस्तों के साथ भी कुछ समय बिताएँ।
* उनके नोट्स आप तैयार कर दें।
* अपने परिवार के लोगों और दोस्तों से भी उन्हें मिलाएँ, इससे आपके प्रति विश्वास बढ़ेगा।
* उनके बालों को प्यार से सहलाएँ, इससे उन्हें सुकून मिलेगा।
* कभी-कभी आप उनके साथ मस्ती भरा खेल भी खेलें, जैसे गुदगुदाना, गोद में उठाना, कुश्ती करना।
* पार्क लेकर घूमने जाएँ और अपने दिल की बातें कहें।
* हँसाने के लिए जोक्स सुनाएँ।
* आधी रात को उनकी खिड़की के नीचे छोटे से पत्थर का टुकड़ा फेंकें और उन्हें बताएँ कि आप उन्हें कितना 'मिस' कर रहे हैं।
* सोते वक्त उनके नीचे गिरते हाथों को अपने हाथों में ले लें।
* अपने नामों को पेड़ पर लिखकर घेरें।
* जब वह आप में पूरी तरह खो जाए तो उसे प्यार से चूमें।
* उन्हें कभी-कभी अपने कंधों पर उठाएँ।
* उनके लिए फूलों का तोहफा ले जाएँ।
* अपने दोस्तों के बीच भी उनके साथ वैसा ही व्यवहार करें, जैसा आप अकेले में करते हैं।
* उनकी आँखों में देखकर मुस्कराएँ।
* आपकी जो तस्वीर उन्हें पसंद हो उन्हें जरूर दें।
* उनके साथ डांस करें, अगर म्यूजिक न हो तो भी।
* बारिश में उन्हें चूमें।
* हमेशा अपने प्यार का इजहार करते रहें।





जब प्यार किसी से होता है


पुरुषों की सबसे बड़ी गलती यही होती है कि वो पहली ही मुलाकात में सोचने लगने लगते हैं कि लड़कियाँ उनकी दोस्त नहीं गर्लफ्रेंड बनें। ये बात उन्हें निराश करती है कि उनसे जितनी भी लड़कियाँ मिलती हैं वो उन्हें दोस्त ही क्यों बनाना चाहती हैं। ऐसे लड़कों को अपनी सोच में बदलाव लाना चाहिए, ताकि हर लड़की आपकी ही ख्वाहिश रखे। आइए कुछ ऐसी ही बातों पर आपका ध्यान दिलाते हैं, जिससे आप अपनी गर्लफ्रेंड के दिल में जगह बना सकें-
* ज्यादा भावुक न हों - अक्सर यह देखा जाता है कि पुरुष प्यार में ज्यादा भावुक हो जाते हैं। ऐसा करने से बचें। ऐसा न हो कि आप अपनी भावुकता में अपने दिल की बात कह ही न सकें। कोई और उसकी जिंदगी में आ जाए। इसलिए जो भी मन की बात हो उसे स्पष्ट रूप से कहें। आप क्या चाहते हैं, आपकी अपने साथी से क्या अपेक्षाएँ हैं सारी बातें दिल खोलकर करें। हो सकता है वह बहुत खुश होगी या फिर बहुत ही नाराज।
* अपना निर्णय भी दें - लड़कियों को हमेशा ऐसे लड़के पसंद आते हैं, जो अपना निर्णय ले सकें और उसपर कायम रहें। अगर वो आपसे पूछे कि आज हमें कहाँ चलना चाहिए, तो अनमना-सा जवाब न दें कि आपको नहीं पता। आपका यह व्यवहार यह दर्शाता है कि आपमें निर्णय लेने की क्षमता नहीं है और लड़कियों को ऐसे पुरुष कभी पसंद नहीं आते हैं।
* अवसादग्रस्त न रहें - यह संभव नहीं कि इंसान हमेशा खुश रहे, लेकिन हमेशा अवसाद से घिरे न रहें। कोई भी लड़की यह नहीं चाहेगी कि उसका साथी हमेशा परेशान और थका-हारा सा रहे। वह चाहती है कि उसका पुरुष साथी अपने लक्ष्य के प्रति सजग और आत्मविश्वासी हो।
* जल्दबाजी न करें - अगर आपको कोई लड़की पसंद है और आप उसे दोस्त नहीं गर्लफ्रेंड बनाना चाहते हैं तो हड़बड़ी न करें। अगर वो आपसे कहती है कि आप उनके सबसे अच्छे दोस्त हैं तो अपनी दोस्ती में खलल न डालें। पहले दोस्ती की ही पहल करें। इस रिश्ते में आप खुद को ज्याद सहज महसूस कर पाएँगे।
यह कैसा वेलेंटाइन डे है
हम क्यों मनाते हैं वेलेंटाइन डे? हमारा इससे क्या वास्ता? हमें इससे क्या लेना-देना? न तो यह हमारी संस्कृति में है और न ही हमारे देश में कभी इस दिवस का प्रचलन था। फिर क्यों कर हम इसे मनाएँ। फिर भी हम इसे मनाते हैं। हम भारतवासी हैं। हमने दुनिया को प्यार करना सिखाया है। इसलिए दुनिया में अगर प्रेम के लिए कोई दिवस मनाया जाता है तो हम क्यों इसे ठुकराएँ। हमने तो हमेशा सबका आदर किया है। इतिहास गवाह है कि भारतवासियों ने अपने दिल में सदा से ही हर उस सभ्यता को अपनाया है जो प्रेम, अहिंसा का संदेश देती है। हमारे देश में विश्व के सभी प्रमुख त्योहार मनाए जाते हैं। हम हिन्दुस्तानी मंदिर के सामने से निकलें या मस्जिद के या किसी चर्च के, श्रद्धा से अपना शीश झुकाते ही हैं। कोई संत हो या फकीर या फादर, हम उन्हें आदर की दृष्टि से देखते हैं। हमारे पूर्वजों ने दूसरों का आदर करना हमें सिखाया है। हम दूसरों की संस्कृति को बहुत जल्द आत्मसात कर लेते हैं। यह हमारे स्वभाव में है। हमारा सोच हमेशा सकारात्मक रहा है। हम भारत ही नहीं दुनिया के सारे देशों का आदर करते हैं। तो फिर क्यों न हम वेलेंटाइन डे भी मनाएँ। मनाएँगे और जरूर मनाएँगे। लेकिन आज के कथित संकीर्ण सोच वाले युवाओं ने इसे विकृत बना दिया है। जिस प्रकार से 31िदसंबर को कहीं-कहीं असभ्य और अशालीन तरीके से मनाया जाता है ठीक उसी प्रकार वेलेंटाइन डे को कुछ लोगों ने बना दिया है। हमने दुनिया को प्यार करना सिखाया है। इसलिए दुनिया में अगर प्रेम के लिए कोई दिवस मनाया जाता है तो हम क्यों इसे ठुकराएँ। हमने तो हमेशा सबका आदर किया है। इतिहास गवाह है कि भारतवासियों ने अपने दिल में सदा से ही हर उस सभ्यता को अपनाया है। पिछले वर्ष की बात है एक लड़की को 14 फरवरी की सुबह एक गिफ्ट मिलता है जिसमें किसी का नाम नहीं होता। वह कुछ अजीब सा रहता है। वह उसे एक तरफ रख देती है। लेकिन शाम को वह गिफ्ट पहुँचाने वाला उसके घर पहुँच जाता है और लड़की को अपने साथ चलने के लिए कहता है। जब वह मना करती है तो वह उससे कहता है कि आज वेलेंटाइन डे है और तुमने मेरा गिफ्ट स्वीकार किया है।
इसलिए तुम्हें मेरे साथ चलना ही होगा। यह असभ्य तरीका ठीक नहीं है। वह लड़की तो समझदारी से संभल जाती है लेकिन अनेक युवा-युवतियाँ इस प्रणय निवेदन को अपनाकर कुछ ऐसे कदम उठा लेते हैं जिसके बाद में पछतावे के सिवा कुछ नहीं रह जाता।होना तो यह चाहिए कि इस वेलेंटाइन डे की तमाम अच्छाइयों को हम अपनी संस्कृति में मिलाएँ और फिर इसे मनाएँ तब देखिए जिंदगी कितनी खुशहाल लगने लगेगी। हमारी संस्कृति में लड़का-लड़की अगर माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध शादी करते हैं तो लोग यही कहते हैं कि लड़की भाग गई। उसका यूँ जाना ऐसा लगता है मानो उसने अनर्थ किया हो। जबकि सच यही है कि उसने अनर्थ किया है। माता-पिता जिन्होंने 20-25 साल उसे प्यार किया वे उसे अपने नहीं लगते उसके आगे जो मात्र कुछ दिनों से उसे चाहता है। आधी उम्र माता-पिता के साथ गुजारने के बाद बची आधी उम्र माता-पिता की इच्छा के विरुद्ध गुजारना क्या उनके साथ न्याय है। क्या उनकी इच्छा, अपेक्षा और समाज में उनके हैसियत के साथ खिलवाड़ करना उनके सम्मान को अपमानित करने जैसा नहीं है। आज मीडिया कुछ कंपनियों के उत्पाद बेचने, उनकी पब्लिसिटी के लिए युवा को प्रणय निवेदन करने के तरह-तरह के प्रलोभन देता है। टिप्स बताता है। मोबाइल कंपनियाँ अपना कारोबार करने के लिए तरह-तरह की आकर्षक योजनाएँ चलाती हैं। अनेक प्रकार के आर्टिकल्स और लुभावने उदाहरण देकर युवा वर्ग को आकर्षित करते हैं। युवा इनसे भ्रमित हो जाते हैं। इनमें लिखे प्रेमी-प्रेमियों के किस्से इन्हें अपने लगने लगते हैं। विभिन्न चैनल भी अनेक प्रकार के कार्यक्रम प्रायोजित करते हैं। केवल अपनी दुकान चलाने के लिए ये सब समाज का कितना नुकसान करते हैं यह तो केवल समझने वाला ही समझ सकता है।
जब टूटे नादाँ दिल

दिल का मामला बड़ा ही अजीबो-गरीब होता है। आप इसके रास्ते जरा से भावुक हुए और दिमाग पर से आपका कंट्रोल हटा। इसलिए बेहतर तो यही है कि इस रोग से दूर से ही नमस्ते की जाए, लेकिन यदि दिल कहीं लग ही गया है और उसे चोट भी लगी है तो इस तरह से उसकी साज-संभाल करें।
* टूटे दिल का बोझ छाती पर न रखें। अपने मन की भावनाओं को बाहर निकाले। रोएँ, चिल्लाएँ, तकिए पर चोट करें। इससे बहुत राहत मिलेगी। मन हल्का करने के लिए अपने किसी अजीज से अपने दिल की बात कहें, उसे राजदाँ बनाएँ। दोस्त नहीं है तो घर के किसी सदस्य को अपने बारे में सब कुछ बताएँ।
* जरूरी नहीं है कि आप में ही कोई खोट हो। अपने आपका अवमूल्यन क्यों करें? बेहतर है अपने मन को समझाएँ कि वह बेवफा प्रेमी प्यार के लायक था ही नहीं। अच्छा हुआ विवाह करने से पहले ही सारी असलियत सामने आ गई।
* अपना ध्यान कुछ रचनात्मक कार्यों जैसे बागवानी, संगीत, खाना बनाना आदि में लगाएँ।
* टूटे दिल के बोझ को हल्का करने का एक प्राकृतिक तरीका है दूर तक पैदल घूमें। अगर तैरना आता है और सुविधा है तो देर तक तैरें। कोई कॉमेडी फिल्म देखें।
* अगर कोई दोस्त शहर से बाहर कहीं दूसरी जगह रहता है तो उसके यहाँ घूम आएँ।
* घर के कामों में हाथ बटाएँ।
* ध्यान बँटाने के लिए जिम ज्वाइन करें।
* पार्लर में जाकर मसाज कराएँ, अपने कमरे या ऑफिस की जगह को साफ-सुथरा बनाएँ।
* सुबह-सुबह पार्क जाएँ, वहाँ मंडली बनाकर योग करने वालों से बातें करें। योग सीखें।
* जो प्रेमी आप से दूर हो गया है उसके बारे में भी अच्छी विचारधारा रखें। इससे आप में हिचक प्रवृत्ति में कमी आएगी और मन का जहर घुल जाएगा।
* यह सोचें कि जो कुछ हुआ अच्छा हुआ, शायद आगे और बहुत कुछ ऐसा होता, जो गलत होता।
* यदि इस सबके बाद भी मन पुरानी यादों में भटकता रहे तो किसी मनोचिकित्सक से मिलें। वह आपको स्वस्थ करने में मदद देगा।
* दिल में बसी पुरानी यादों को निकालने के लिए एक मनोवैज्ञानिक तरीका यह है कि जो कुछ भी आपके दिल-दिमाग में उमड़-घुमड़ रहा हो उसे तब तक लिखते रहें जब तक थककर हाथ लिखना बंद न कर दें।
* बार-बार यह प्रक्रिया अपनाएँ एक स्थिति ऐसी आएगी कि आप ऊब जाएँगे और लगने लगेगा कि संबंध टूटना सही ही हुआ।

क्यों होता है प्यार ?

एक प्यार करने वाले से पूछा गया कि प्यार क्या होता है? कैसा लगता है? तो उसका जवाब था कि प्यार गेहूँ की तरह बंद है, अगर पीस दें तो उजला हो जाएगा, पानी के साथ गूँथ लो तो लचीला हो जाएगा... बस यह लचीलापन ही प्यार है, लचीलापन पूरी तरह समर्पण से आता है, जहाँ न कोई सीमा है न शर्त। प्यार एक एहसास है, भावना है। प्रेम परंपराएँ तोड़ता है। प्यार त्याग व समरसता का नाम है। प्रेम की अभिव्यक्ति सबसे पहले आँखों से होती है और फिर होंठ हाले दिल बयाँ करते हैं। और सबसे मज़ेदार बात यह होती है कि आपको प्यार कब, कैसे और कहाँ हो जाएगा आप खुद भी नहीं जान पाते। वो पहली नजर में भी हो सकता है और हो सकता है कि कई मुलाकातें भी आपके दिल में किसी के प्रति प्यार न जगा सकें। प्रेम तीन स्तरों में प्रेमी के जीवन में आता है। चाहत, वासना और आसक्ति के रूप में। इन तीनों को पा लेना प्रेम को पूरी तरह से पा लेना है। इसके अलावा प्रेम से जुड़ी कुछ और बातें भी हैं – प्रेम का दार्शनिक पक्ष- प्रेम पनपता है तो अहंकार टूटता है। अहंकार टूटने से सत्य का जन्म होता है। यह स्थिति तो बहुत ऊपर की है, यदि हम प्रेम में श्रद्धा मिला लें तो प्रेम भक्ति बन जाता है, जो लोक-परलोक दोनों के लिए ही कल्याणकारी है। इसलिए गृहस्थ आश्रम श्रेष्ठ है, क्योंकि हमारे पास भक्ति का कवच है। जहाँ तक मीरा, सूफी संतों की बात है, उनका प्रेम अमृत है।
साथ ही अन्य तमाम रिश्तों की तरह ही प्रेम का भी वास्तविक पहलू ये है कि इसमें भी संमजस्य बेहद जरूरी है। आप यदि बेतरतीबी से हारमोनियम के स्वर दबाएँ तो कर्कश शोर ही सुनाई देगा, वहीं यदि क्रमबद्ध दबाएँ तो मधुर संगीत गूँजेगा। यही समरसता प्यार है, जिसके लिए सामंजस्य बेहद जरूरी है। प्रेम का पौराणिक पक्ष- प्रेम के पौराणिक पक्ष को लेकर पहला सवाल यही दिमाग में आता है कि प्रेम किस धरातल पर उपजा-वासना या फिर चाहत....? माना प्रेम में काम का महत्वपूर्ण स्थान है, लेकिन महज वासना के दम पर उपजे प्रेम का अंत तलाक ही होता है। जबकि चाहत के रंगों में रंगा प्यार ज़िंदगीभर बहार बन दिलों में खिलता है, जिसकी महक उम्रभर आपके साथ होती है। प्रेम का प्रतीक गुलाब- सुगंध और सौंदर्य का अनुपम समन्वय गुलाब सदियों से प्रेमी-प्रेमिकाओं के आकर्षण का केंद्र रहा है। गुलाब का जन्म स्थान कहाँ है यह आज भी विवाद का विषय बना हुआ है। इस पर कथाएँ तो कई हैं, लेकिन एक कथा के अनुसार जहाँ-जहाँ पैगम्बर के पसीने की बूँदें गिरीं, वहाँ-वहाँ गुलाब के पौधे उग आए। लाल गुलाब की कली मासूमियत का प्रतीक है और यह संदेश देती है तुम सुंदर और प्यारी हो। लाल गुलाब किसी को भेंट किया जाए तो यह संदेश है कि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ। सफेद गुलाब गोपनीयता रखते हुए कहता है कि तुम्हारा सौंदर्य नैसर्गिक है। जहाँ पीला गुलाब प्रसन्नता व्यक्त करता है, वहीं गुलाबी रंग प्रसन्नता और कृतज्ञता व्यक्त करता है। गुलाब यदि दोस्ती का प्रतीक है तो गुलाब की पत्तियाँ आशा की प्रतीक हैं। Gayanendaryadav@gmail.com

दिल दिया नहीं जाता खो जाता है

यार वो लड़की अच्छी लगती है। दिखी नहीं 2-4 दिन से। तो नहीं दिखी तो रहने दे। नहीं यार उसकी ड्रेस अच्छी लगती है। उसके कट्स भी अच्छे हैं। यार दिखती तो कुछ खास नहीं है। पर फिर भी दिख जाती है तो दिन अच्छा निकल जाता है। क्यों तेरे को देखती है क्या। मेरे को देखे चाहे नहीं देखे, मैं उसे देख लूँ तो दिल को करार आ जाता है।
नहीं दिखेगी तो पूरा दिन अजीब सा लगता है। कुछ कमी सी लगती है। तुझे कहीं प्यार तो नहीं हो गया है। अरे नहीं यार। ऐसा कुछ नहीं है। बस यूँ ही टाइम पास हो जाता है। वैसे भी प्यार-व्यार सरीके फोकट कामों के लिए टाइम नहीं है मेरे पास।
इतने में आती हुई दिखी तो पूरब की बाँछें खिल गईं। बस उसके बाद तो इनकी दिनचर्या ही बदल गई। जो काम नहीं करते थे वो करने लग गए। जो करते थे उसमें अब इनका मन उतना नहीं लगता। रोमांटिक बातें इन्हें अच्छी लगें। रोमांटिक एसएमएस का पेज कल तक उठाकर नहीं देखते थे आज उसके सिवाय कुछ पढ़ते नहीं।
शेरो शायरी की लिंक तो जिसने इनको भेज दी, ये उनके मुरीद हो गए। पूछो ऐसा क्यों। बस ऐसे ही यार अच्छी लगती है। ये कमलेश नाम का है ना ये बहुत बढ़िया एसएमएस भेजता है। कल वह क्लास में आई तो क्या पहनकर आई इनको याद है, उसके पहले क्या पहना था। यह भी याद है।

एक दिन तो हद ही हो गई जब पिछले 8 दिनों की ड्रेस के आधार पर अंदाजा लगाया और नौवें दिन मोहतरमा इनके ही अनुमान की ड्रेस पहनकर आ गईं। उस दिन तो महाशय रात में 2 घंटे देर से सोए। लेकिन जुबान पर वही है प्यार-व्यार नाम की कोई चीज नहीं होती। लैला-मजनूँ, हीर-राँझा इनको बेवकूफ ही लगते हैं।
एक दिन तो हद हो गई। वह इनकी किसी बात पर मुस्कुराई तो दिनभर वह दृश्य आँखों के सामने से हटा नहीं। इनका नाम पूछ लिया तो इनके पहले तो हाथ-पाँव काँप रहे थे जैसे-तैसे लड़खड़ाती जुबान से बताया। औपचारिकता बतौर पूछ भी लिया। जवाब मिला निशा। और दुनिया के सबसे खूबसूरत नामों की फेहरिस्त में उसे सबसे ऊपर रख दिया।
उसके बारे में कोई उल्टा सीधा बोले इन्हें मंजूर नहीं। उससे जाकर कोई और बात करे इन्हें मंजूर नहीं। घर आएँ जो फुर्सत में मिले उसे किस्से सुनाएँगे तो कहीं न कहीं निशा जुड़ी ही रहेगी। महोदय से कहो - अब तो तुमको प्यार हो गया है। अरे नहीं यार कैसी बात करता है। वह तो केवल दोस्त है। जरा सा किसी से हँस के बोल लो उससे क्या होता है।

हाँ, यही प्यार है!

कभी आप मौन हो जाएँ, कभी बोल खो जाएँ, जब अपने आप की खबर ही न रहे, स्वयं का अस्तित्व किसी और में घुलता जाए। सारी बातें मन ही मन में चलती रहें। न तुम कुछ कहो, न मैं कुछ कहूँ। ऐसा ही कुछ-कुछ होता है जब प्रेम होता है। प्यार का पहला एहसास जागता है तो कुछ-कुछ नहीं बहुत कुछ होता है।
लेकिन कभी-कभी यह समझने में बड़ी कठिनाई होती है कि ये प्यार ही है या और कुछ। पहला-पहला प्यार हो तो कुछ समझ नहीं आता है कि क्या हो रहा है और क्यों हो रहा है ऐसा? किसी का अच्छा लगना और फिर एक ही मुलाकात में पूरी जिंदगी बन जाना.... ये कैसा एहसास है, जिसने पूरे जीवन को बदल डाला है। जिंदगी बदल गई है वो सब कुछ हो रहा है जो पहले कभी नहीं हुआ.... कहीं आपको प्यार तो नहीं हो गया है.....
पता नहीं हाँ....नहीं.... बड़ी उलझन है.... लेकिन जानें तो कैसे जानें कि आपको प्यार हो गया है। शायद हम ही आपकी कुछ मदद कर सकें। अगर ऐसे ही कुछ एहसास आपके मन में भी जाग रहे हों तो समझ लें कि आपको प्यार, प्यार और सिर्फ प्यार हो गया है। क्या ये लक्षण आपको अपने में नजर आ रहे हैं? जरा देखिए-
* हर पल मन में कुछ बेचैनी-सी महसूस होती है। सब कुछ होने के बाद भी कहीं कुछ कमी-सी लगती है।
* उसका जिक्र छिड़ते ही प्यार की खुशबू आती है। उसका नाम सुनते ही चेहरे पर शर्मकी लाली छा जाती है, दिल धड़कने लगता है।
* पूरी रात इधर-उधर करवटें बदल-बदल कर ही बीतती है। नींद आती ही नहीं, आए भी तो कैसे? आँखें बंद करते ही वो सामने आ जाते हैं और फिर पूरी रात आँखों-आँखों में ही कट जाती है।
* वो साथ हों तो जिंदगी हसीन और मौसम खुशनुमा बन जाता है। आप इसी तरह की जिंदगी की ख्वाहिश करने लगते हैं।
* आपके चेहरे पर अचानक ही गजब का निखार आ जाता है। दोस्त कहने लगते हैं, ''कुछ तो चक्कर है.... लगता है ये प्यार की चमक है.... और आप शरमाकर मुँह छिपा लेते हैं।
* कभी शेरो-शायरी और कविता की ओर ध्यान न देने वाले आप अचानक ही ऐसी चीजों के दीवाने हो जाते हैं। दिन-दिन भर गजलें सुनने में बिता देते हैं। जगजीतसिंह आपके फेवरेट हो जाते हैं।
* अपनी जिंदगी की हर बात उससे जुड़ी-सी लगती है।
* बस इस बात का इंतजार रहता है कि किसी भी तरह से उसका दीदार हो जाए। दीदार होने पर दिल में फूल खिल जाते हैं।
* रोमांटिक फिल्में देखना और उसकी परिस्थितियों से अपने आप को जोड़ना आपको कुछ ज्यादा ही अच्छा लगने लगता है।
* आपको उसकी बेतुकी, बचकानी बातें भी अच्छी लगने लगती हैं और उन पर भी प्यार आता है।
* अचानक ही ईश्वर में आपका विश्वास बढ़ जाता है। आप ज्यादा दयालु और उदार हो जाते हैं।
* आप उसकी जीवनशैली अपनाने लगते हैं।
* उसको ध्यान में रखकर आप 'मैं' की बजाय अब 'हम' शब्द का इस्तेमाल ज्यादा करने लगते हैं।
* फुर्सत के पलों में आप बेवजह उसका नाम लिखने बैठ जाते हैं।
* रोमांटिक गीतों के हर शब्द पर आप गौर करने लगते हैं और हर गाना आपको अपनी ही दास्तान लगता है। कल्पना करते हुए आप साथ में गाने भी लगते हैं।
* वो शहर से कुछ दिनों के लिए बाहर हो तो बेचैनी में और तन्हाई से बचने के लिए आप बिना किसी काम के ही अपने मित्रों के साथ वक्त गुजारते हैं और उन्हें अपने किस्से सुना-सुनाकर बोर करते हैं।
* आप पूरी दुनिया को भूल बैठे हैं। आपको अपनी भी खबर नहीं रहती। उसकी याद में आप होश खो बैठते हैं। कहीं के लिए निकले हैं
र कहीं निकल जाते हैं। Gayanendaryadav@gmail.com

* उसके खयाल में आप खाना-पीना, पढ़ना लिखना सब भूल जाते हैं। ये सारे काम आपको बेकार लगते हैं।
* बिना किसी प्रयास के ही आपका वजन घटने लगता है लोग कहते हैं क्या बात है डायटिंग पर हो?
* अपनी हेयर स्टाइल तथा ड्रेसिंग स्टाइल बदलने के लिए आप 'उससे' मशविरा लेते हैं।
* आपको लगता है कि वो कभी कुछ भी गलत कर ही नहीं सकता।
* आपने दूसरे सारे लड़कों या लड़कियों से हँसी-मजाक तक करना छोड़ दिया है, आपको अब उनका साथ अच्छा नहीं लगता है।
* आपको हर वक्त, आधी रात को भी फोन बजे तो लगता है उसी का फोन है।
* उसकी सारी कमियाँ में आपको खूूबियाँ नजर आने लगती हैं। उसकी हर बात आपको सेक्सी लगती है।
* उसके पसीने की बदबू भी आपको मदहोश बना देती है।
* आप अपने आप का कुछ ज्यादा ही ध्यान रखने लगते हैं।
* अब आप उसे उसके नाम से नहीं बुलाते। आपने उसे एक 'निकनेम' दे दिया है और उस 'निकनेम' से उसे पुकारते वक्त आप अपना सारा प्यार उंडेल देते हैं।
* उसे देखते ही आपके दिल की धड़कन बढ़ जाती है मानो आप मीलों से भागकर चले आ रहे हों। आपका टेम्प्रेचर भी बढ़ जाता है।
* उसकी हलकी-सी छुअन का एहसास आपके पूरे शरीर में हलचल मचा देता है.... और उस एक छुअन का एहसास आपके रोम-रोम में समा जाता है।
* आप बेवजह उसकी माँ-बहन या रिश्तेदारों से बड़े सम्मान से बातें करने लगते हैं।
* उसके घिसे-पिटे जोक्स पर भी आपको बहुत हँसी आती है।
* उसकी हर बेवकूफी और गलती आपको क्यूट लगती है।
उससे मिलने के बाद, घंटों बात करने के बाद भी आपको लगता है कि काश, थोड़ा वक्त और मिल जाता या काश, इस मुलाकात का अंजाम कभी जुदाई न होता।
* यदि वह किसी की ओर देख भी ले तो आपको गवारा नहीं, आपका दिल आहत हो जाता है।
* उसका साथ आपको अच्छा लगने लगता है और बाकी सबका साथ बोर।
* उसकी हर बात से आप सहमत हो जाते हैं। उसकी हर सलाह आपको अच्छी लगने लगती है।
* अब आपको अपनी मनपसंद का खाना अच्छा नहीं लगता। अब आप मेनू देखते समय यह ध्यान रखते हैं कि उसे क्या पसंद है।
अगर ये सब कुछ या इनमें से कुछ आपके साथ हो रहा है। तो समझ लें कि- प्यार हुआ चुपके से.....
दिल मेरा तोड़ दिया, बुरा क्यों मानूँ
कॉलेज में पढ़ाई के दौरान की बात है। एक बहुत ही स्मार्ट और इंटेलीजेंट लड़का हमारे साथ पढ़ता था, अनूwप । सुनने में आता था कि अनूwप का किसी लड़की के साथ अफेयर था। लड़की आकर्षक थी। पिछले दिनों घर जाने के दौरान उस लड़की को दूसरे लड़के के साथ देखा। पता चला कि उस लड़की का अफेयर किसी दूसरी लड़के से चलने लगा है। इस बात से भी ज्यादा चौंकाने वाली बात यह लगी कि अनूwप इससे गहरे सदमें में है और दूसरों से संपर्क रखना छोड़ दिया है।
अक्सर ऐसे मामले हम सभी के सामने आते हैं, जब ब्रेक-अप होने का सदमा लड़के या लड़कियाँ बर्दाश्त नहीं कर पाते। दरअसल प्यार होना जितना अप्रत्याशित होता है, उतना ही अप्रत्याशित उसका ब्रेक होना भी। फिल्म कसूर के इस गाने पर ध्यान दीजिए दिल मेरा तोड़ दिया बुरा क्यों मानूँ। उसको हक है, वो मुझे प्यार करे या ना करे। और ‘दिल चाहता है’ का एक डॉयलाग कि - प्यार फैसले से नहीं होता है, पर गौर कीजिए। इन दोनों में गहरा संबंध है।
पहली बात, प्यार के लिए कोई प्लानिंग नहीं होती है, इसके लिए कोई शर्त नहीं होती है और न ही कोई वजह होती है। अगर आपके प्यार में इन तीनों में से कोई भी बात हो तो यह बात अच्छे से समझ लीजिए कि वहाँ प्यार नहीं है और अगर प्यार नहीं है तो उसके आने और जाने का क्या मतलब। ऐसे ‘प्यार’ के लिए निराश होने की भी जरूरत नहीं है।
दूसरी जब आपके प्यार में शर्त नहीं है तो अब किस बात की शर्त या ईगो। क्या आपने प्यार के पहले कई बातें तय की थीं, मसलन- ये करना है, ये नहीं करना है, उससे बात करनी है, उससे नहीं करनी, तो आपके प्यार की वजह तय की हुई थी और वजह खत्म होने के कारण प्यार भी आपसे दूर चला गया।
ब्रेक अप होने के बाद निराश होने की जरूरत नहीं है। ये सोचें कि सही समय पर हो गया। बाद में ऐसा होता तो आपको ज्यादा निराशा होती। व्यक्ति की पहचान जितनी जल्दी हो जाए, उतना ही बेहतर है। ब्रेक अप होने पर अपना ध्यान दूसरे सकारात्मक कार्यों में लगाएँ और अपने को व्यस्त रखें। कुछ सकारात्मक कार्य करें। अपने आप में हीनभावना नहीं आने दें और माने कि आप सबसे बेहतर है। अगर गलतियाँ हो गई हों तो उसके लिए माफी माँग लें।
माफी माँगने से आधे अवसाद स्वयं समाप्त हो जाते हैं। वैसे गलतियाँ करना मनुष्य का स्वभाव है, इसलिए गलतियों से सीख लें। जीवन के प्रति आशान्वित रहें और हाँ ‘खूबसूरत गलतियाँ’ करने से कभी मुँह न मोड़ें। लेकिन इस बार ऐसी गलती करते समय किसी वजह की तलाश न करें, न ही उससे कोई शर्त रखें। फिर आप भी गाएँ - ‘जिंदगी कितनी खूबसूरत है, आइए आपकी जरूरत है।’
Anoop Kumar Yadav
(Allahabad )

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